36 साल बाद यूका के कचरे को हटाने फिर री- टेंडर

भोपाल
बारिश के मौसम में एक बार फिर यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को हटाने का मसला चर्चा में है। इसके लिए 36 साल बाद टेंडर किए गए थे लेकिन अब उनको कैंसिल कर फिर से इसकी री टेंडरिंग की जा रही है। प्रशासन के लिए यूनियन कार्बाइड का जहरीला 337 टन कचरा एक बड़ी समस्या बना हुआ है। लेकिन अभी तक इसको किस तरह से डिस्पोज करे यह क्लियर नहीं कर पाया है।

मानकों पर खरी नहीं उतरी कंपनी
भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल बाद सरकार ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के गोदाम और उसके बाहर आरओबी के पास तालाब में दफन जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए पहली बार निकाले गए टेंडर को रद्द कर दिया गया। इसकी वजह टेंडर में शामिल गुजरात की दो कंपनी, चेतन कुमार वीरचंद भाईसा मल्टी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और आॅयल फील्ड एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड टीएसडीएफ स्पेसिफिकेशन के मानक पूरे नहीं कर पाना है। सरकार ने दोनों कंपनियों के प्रेजेंटेशन के बाद इसे राज्य सरकार के आॅफिसर की कमेटी के पास टेक्निकल कैपेबिलिटी जांचने के लिए भेजा था। यहां से अनुमति नहीं मिली। मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है।

कचरा कारखाने के बाहर भी
यूनियन कार्बाइड गैस कांड के पीड़ितों के बीच काम कर रहे संगठनों के पदाधिकारियों रचना ढींगरा और रशीदा बी के अनुसार प्रदूषित कारखाना परिसर में हादसे पर स्मारक बनाने की सरकार की योजना डाव केमिकल कंपनी के पर्यावरण और लोगों पर किए जा रहे अपराधों को दबाने की कोशिश है। सरकार सिर्फ 337 टन कचरे को हटाने के लिए इतना बड़ा टेंडर निकाल रही है। जबकि काफी कचरा कारखाने के बाहर भी जमीन में दबता जा रहा है। उसकी तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है।