प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर जोर : मुख्यमंत्री

रायपुर। लोकवाणी में विकास का नया दौर विषय पर बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ढाई साल पहले सरकार में आते ही, हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किए और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया, उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है। वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एक हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 3 हजार 358 कर दिया। इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है। कोरोना से लड?े के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो हमने वेंटिलेटर, आईसीयू बेड्स, एचडीयू बेड्स, आॅक्सीजनयुक्त बेड, आॅक्सीजन कान्सेंटेऊटर, हर तरह के आॅक्सीजन सिलेंडर, पीएसए आॅक्सीजन प्लांट, लिक्विड आॅक्सीजन टैंक, मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों को भी कई गुना बढ़ाया गया है। हम कांकेर, कोरबा तथा महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं, जिससे प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और जनता को इसका लाभ भी मिलेगा। पिछले दो बजट में हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी करते हुए 880 करोड़ रू. का बजट दिया। इसके अलावा राज्य आपदा राहत मद से 50 करोड़ रू. मुख्यमंत्री सहायता कोष से 80 करोड़ रू. भी दिए, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल मदद बढ़कर 1 हजार करोड़ से अधिक हो गई है।

आदिवासियों से जुड़ी हुई बात, कोई भी विषय, कोई भी समस्या को हम छोटा नहीं मानते और आदिवासी अंचलों में आम जनता की सहूलियत के नए-नए उपाय करने के लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। आपने देखा होगा कि पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे-बड़े नवाचार हुए हैं, जिसका लाभ मिल रहा है। डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका, देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किए गए हैं। वहां मैंने डीएमएफ के उपयोग के लिए नई गाइड लाइन बनवाई थी, जिसके कारण बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है तो मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ 5 लाख लोगों को मिलता है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान बनाना है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो। ऐसा न हो कि सड़क तो हैं, लेकिन एप्रोच नहीं, पुल-पुलिया नहीं। इसलिए हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है। हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुए अनेक कीर्तिमान भी बनाए हैं। चलिए, सिर्फ एक साल 2020-21 की बात कर लेते हैं। इसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश में 4 हजार 228 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं। आप इतिहास निकालकर देख लीजिए, इतना काम पिछले किसी एक साल में नहीं हुआ। इसी तरह पीएमजीएसवाई सड़कों की पूर्णता का प्रतिशत 121 रहा। मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना के तहत 94 किलोमीटर की 261 सड़कें बनाई, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना में 387 किलोमीटर की 97 सड़कें बनाईं, पूरे ढाई साल को देखें तो हमने पीएमजीएसवाई के तहत 8 हजार 545 किलोमीटर सड़कें बनाई, जो एक बड़ी उपलब्धि है।