हाईकोर्ट ने दिया निर्देश- अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपनाने वाली युवती को मिलती रहेगी सुरक्षा  

नई दिल्ली 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल करने वाली एक 22 वर्षीय युवती की अंतरिम सुरक्षा अवधि बढ़ा दी है। उच्च न्यायालय ने 22 जुलाई तक इस युवती की सुरक्षा अवधि बढ़ाते हुए कहा कि अगले आदेश तक सुरक्षा जारी रहे। युवती का दावा है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपनाया है। लेकिन इस्लाम धर्म अपनाने के बाद उसे व उसके परिवार को जान का खतरा है। उत्तर प्रदेश पुलिस, माफिया और वीजिलांटी समूहों द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है। 

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने इस मामले में संज्ञान लिया कि उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ है। साथ ही पीठ ने माना कि कोई भी आदेश देने से पहले उनका पक्ष सुनना आवश्यक है। युवती ने इन्हीं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इसलिए इनका पक्ष सुनना जरुरी है। पीठ ने युवती की सुरक्षा अवधि को बढ़ा दिया है। पीठ ने कहा कि पहले से नोटिस देने के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता युवती द्वारा उत्तर सरकार व पुलिस के खिलाफ शिकायत की है, लेकिन ये दोनों ही प्रतिवादी इस पीठ के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। पीठ ने यह भी कहा कि कोई भी आदेश देने से पहले, उनका पक्ष सुनना उचित है। पीठ ने युवती के वकील को निर्देश दिया कि वह उच्चतम न्यायालय में उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता को याचिका की एक प्रति उपलब्ध कराए। पीठ ने अब इस मामले में सुनवाई को 22 जुलाई तक के  लिए स्थगित कर दिया है। इस बीच अंतरिम आदेश जारी रहेगा। पेश मामले में उच्च न्यायालय ने एक जुलाई के आदेश में युवती को पांच जुलाई तक के लिए सुरक्षा प्रदान करते हुए दिल्ली पुलिस को उसकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने को कहा था।