विकास दुबे केस: जानिए उस रात की पूरी कहानी जिसके बाद सुर्खियों में आ गया कानपुर का बिकरू गांव

 कानपुर  
कानपुर के बिकरू में आज के ही दिन विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर गांव के ही राहुल तिवारी को पीटा था। उस वक्त तत्कालीन चौबैपुर थानेदार विनय तिवारी (अब जेल में)  भी मौजूद थे। थानेदार होने होने के नाते बेगुनाह की पिटाई तत्कालीन एसओ को भी अच्छी नहीं लगी। आपत्ति जताई तो विकास ने उस पर भी रायफल तान दी थी। घटना के चश्मदीद राहुल तिवारी के मुताबिक, विकास ने पूर्व एसओ पर भी हाथ छोड़ दिया था। मौके की नजाकत भांप जनेऊ हाथ में लेकर थानेदार गिड़गिड़ाए तो जान बची। राहुल तिवारी और पूर्व थानेदार जान बचा भाग निकले। इसके अगले दिन ही बिकरू में विकास दुबे और उसके साथियों ने मिलकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। 

बिकरू कांड से ठीक पहले यानी एक जुलाई की दोपहर को राहुल तिवारी, पूर्व एसओ विनय तिवारी के साथ बिकरू गया था। उसकी शिकायत पर पूर्व एसओ विनय तिवारी बालगोविंद से उसका समझौता कराने ले गए थे। जमीन की पंचायत में विकास दुबे, अमर दुबे, प्रभात मिश्रा समेत दो-तीन लोग वहां मौजूद थे। विनय तिवारी पहले से ही विकास दुबे के पैर छूता रहा था। इस कारण किसी आम इंसान की शिकायत पर वह उसे लेकर बिकरू तक आ गया। यह बात विकास के गले नहीं उतरी। उसने और उसके गुर्गों ने राहुल तिवारी को पूर्व एसओ के सामने पीटा। जब पूर्व एसओ ने विरोध किया तो सीने पर रायफल तान दी। विकास ने ही उसको भी दो थप्पड़ जड़ दिए गए। उधर, राहुल तिवारी की बेतहाशा पिटाई होती रही। पूर्व एसओ भी सहम गए थे। यदि राहुल तिवारी को उनके सामने कुछ हो जाता तो फंस जाते। इसलिए भी कि वह खुद उसे लेकर बिकरू गए थे। मौके की स्थिति भांपी तुरंत जनेऊ निकाला और विकास को कसम दिलाते हुए रहम मांगी। इसके बाद राहुल गुर्गों के कब्जे से मुक्त हुआ और वहां से भाग निकला। थानेदार भी माफी मागते हुए किसी तरह वहां से निकले।