मैं अरपा हूँ संकट में अस्तित्व तुम्हारे हाथ में………..आशुतोष’आनंद’दुबे

जन्मभूमि पेण्ड्रा पठार से, संगम है शिवनाथ में
मैं अरपा हूँ संकट में अस्तित्व तुम्हारे हाथ में

खेतों को सींचा मैंने तब ही हरियाली आई है
कितने गाँवों के लोगों की मैंने प्यास बुझाई है
मैंने पावन यह क्षेत्र किया पर बढ़ी आज कठिनाई है
खतरे में अस्तित्व मेरा पीड़ा कितनी दुखदायी है

संरक्षण हो अब मेरा हो उद्गम धारा साथ में
मैं अरपा हूँ संकट में अस्तित्व तुम्हारे हाथ में

-:आशुतोष’आनंद’दुबे