‘बिहान’ से महिलाओं को मिली नई उड़ान, आर्थिक मजबूती और सामाजिक बदलाव की बनीं मिसाल

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Women flight now
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रायपुर; 22 जुलाई ।  Women flight now : परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो हर मुश्किल आसान बन जाती है। कोरबा की नीलम सोनी ने यह साबित कर दिखाया कि अगर जुनून हो तो साधारण सी जिंदगी भी असाधारण मिसाल बन सकती है। घरेलू जिम्मेदारियों में बंधकर बैठने के बजाय उन्होंने खुद के लिए, अपने परिवार के लिए और घर की चारदीवारी में सिमटी सैकड़ों महिलाओं के लिए बदलाव को चुना।

चुनौतियों से लड़कर आर्थिक और सामाजिक कद ऊँचा किया

Women flight now :  चुनौतियों से लड़कर उन्होंने न सिर्फ अपना आर्थिक और सामाजिक कद ऊँचा किया, बल्कि दूसरों के जीवन में भी उम्मीद की किरण जगाई। नीलम आज सिर्फ एक सफल उद्यमी ही नहीं है, वह महिला सशक्तीकरण की प्रेरणादायक प्रतीक बन चुकी है।

कोरबा जिले के कटघोरा में रहने वाली श्रीमती नीलम सोनी

Women flight now :  कोरबा जिले के कटघोरा में रहने वाली श्रीमती नीलम सोनी के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पति अकेले कमाने वाले थे और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। अपने बच्चों के भविष्य और अपने आत्मसम्मान के लिए नीलम ने ठान लिया कि कुछ करना है।

Women flight now :  श्रिया स्वसहायता समूह’ मिसाल 

उसने आसपास की महिलाओं के साथ मिलकर अपनी बेटी ’श्रिया’ के नाम पर ’श्रिया स्वसहायता समूह’ का गठन कर नए सफर की शुरुआत की। इस सफर ने उसके जीवन को नए-नए रंग दिए। नीलम और उसके समूह का सफर इस बात का जीवंत उदाहरण है कि महिलाएं यदि ठान लें तो हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल बन सकती हैं।

बिहान से जुड़कर नीलम के सपनों को नई दिशा और पहचान मिली

Women flight now : राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़कर नीलम के सपनों को नई दिशा और पहचान मिली। उन्होंने ‘बिहान’ के माध्यम से छह लाख रुपए का ऋण लिया और कटघोरा में ‘गढ़कलेवा’ नाम से परंपरागत छत्तीसगढ़ी व्यंजनों वाले भोजनालय की शुरुआत की।

Women flight now :  नीलम के पारंपरिक पकवान लोगों को खूब भाए

शुरुआत कठिन जरूर थी, लेकिन नीलम और उसके साथियों के दृढ़ निश्चय और परिश्रम ने पीछे मुड़कर देखने की नौबत नहीं आने दी। उनके ‘गढ़कलेवा’ के चीला, फरा, ठेठरी, खुरमी, अइरसा, चौसेला, तसमई, करी लड्डू, सोहारी जैसे व्यंजनों के साथ ही मिलेट्स (मोटा अनाज) से बने पारंपरिक पकवान लोगों को खूब भाए और लोकप्रियता बढ़ती गई।

Women flight now :  ‘गढ़कलेवा’ सिर्फ व्यवसाय नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत

नीलम और उसके समूह के लिए ‘गढ़कलेवा’ सिर्फ व्यवसाय नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और खानपान को संजोने और आगे बढ़ाने का माध्यम भी है। ‘गढ़कलेवा’ आने वालों को न केवल स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी खाना मिलता है, बल्कि यहां का माहौल और पारंपरिक सजावट भी उन्हें अपनेपन का अहसास कराती है।

Women flight now : श्रिया स्वसहायता समूह से अभी 200 महिलाएं जुड़ी

नीलम बताती है कि ‘गढ़कलेवा’ के काम के साथ उसने बांस की कलाकृतियाँ और हस्त निर्मित सजावटी वस्तुएँ भी बनाना शुरू किया। इससे अतिरिक्त कमाई के साथ छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प को भी बढ़ावा मिला। श्रिया स्वसहायता समूह से अभी 200 महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

Women flight now :  पिछड़ी जनजाति बिरहोर की महिलाओं को भी जोड़ा

इनमें से 20 महिलाएं ‘गढ़कलेवा’ में काम करती हैं। उसने अपने समूह में विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर की महिलाओं को भी जोड़ा है, जो पहले आजीविका के अवसरों से वंचित थीं। नीलम के उद्यम से अब उनके भी कदम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चले हैं।

Women flight now :  चार साल पहले नीलम ने जो पहला कदम बढ़ाया

नीलम कहती हैं, “आज मेरे लिए सबसे बड़ा संतोष इस बात का है कि मैं अकेली नहीं बढ़ी, मेरे साथ मेरी बहनों का पूरा परिवार भी आगे बढ़ा है।“ आत्मनिर्भर बनने के लिए चार साल पहले नीलम ने जो पहला कदम बढ़ाया था, अब वह सालाना 12 लाख रुपए के टर्नओवर के करीब पहुंच गया है।

महिलाएं “लखपति दीदी” बन सकें और अपने पैरों पर खड़े होने का सपना सच करें

Women flight now : अब नीलम चाहती है कि उसका ‘गढ़कलेवा’ राज्य के हर जिले में फैले, ताकि स्थानीय व्यंजनों और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को अच्छी पहचान मिले। वह अपने व्यवसाय को मॉडल बनाकर अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग भी देना चाहती है, ताकि और भी महिलाएं “लखपति दीदी” बन सकें और अपने पैरों पर खड़े होने का सपना सच करें।

Women flight now :  नीलम और समूह की महिलाएं ‘बिहान’ और मुख्यमंत्री साय को धन्यवाद

नीलम और उसके समूह की महिलाएं राज्य शासन, ‘बिहान’ और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि यदि शासन की इस योजना और अधिकारियों का सहयोग नहीं मिला होता, तो मैं और मेरे जैसी सैकड़ों महिलाएं शायद अभी भी घर की चारदीवारी तक ही सीमित रहतीं। ‘बिहान’ ने हमें न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपने सामर्थ्य पर विश्वास करना भी सिखाया।


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