नहीं लगी लूट पर लगाम, प्रशासन सुस्त, परेशान मरीज

भोपाल
कोरोना के गंभीर संक्रमण की चपेट में आकर मरीजों की लगातार मौतें हो रहीं हैं। संक्रमण से थोड़ी सी राहत की उम्मीद देने वाले रेमडेसिवर इंजेक्शन के लिए प्रशासन फार्मा कंपनियों से मंगाकर सरकारी और निजी अस्पतालों को मुहैया करा रहा है। इसके बावजूद प्रायवेट अस्पताल मरीजों के भर्ती होने के तुरंत बाद परिजनों को रेमडेसिवर की व्यवस्था करने के लिए पर्चा थमा रहे हैं। इस कारण मरीजों के परिजनों को ब्लैक में इंजेक्शन खरीदने पड़ रहे हैं।

अफसरों का तर्क है कि जरूरतमंद मरीजों को डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर अस्पताल में ही इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे हैं। लेकिन क्रॉस चेकिंग न होने से प्रायवेट अस्पताल मनमानी कर रहे हैं।

पिछले दिनों मची अफरा-तफरी के बीच सरकार के प्रयास से अब तक मध्यप्रदेश को दो लाख 54 हजार 125 रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सभी फार्मा कंपनियों से अधिकारी निरंतर संपर्क में हैं, प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए निरंतर प्रयास जारी है। लेकिन अस्पतालों की मनमानी से अब भी मरीज परेशान हो रहे हैं।

जीआई अस्पताल में एक परिवार के दो संक्रमित सदस्य भर्ती हैं। डॉक्टर्स ने 12 इंजेक्शन की व्यवस्था के लिए कहा। परिजन दवा बाजार में भटके प्रशासनिक अफसरों के पास भी गए लेकिन सिर्फ एक ही मरीज के लिए छह इंजेक्शन की व्यवस्था हो पाई। बाकी छह उन्हें ब्लैक में खरीदने पडे।

प्रशासन का दावा है कि डॉक्टर्स के प्रिस्क्रिप्शन पर निर्धारित फॉर्मेट में जानकारी भरकर भेजने पर  निजी अस्पतालों में इंजेक्शन दिए जा रहे हैं लेकिन मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल नहीं बता रहे हैं कि उनके नाम का इंजेक्शन आया या नहीं। वहीं मरीजों को बाजार से इंजेक्शन लाने पड़ रहे हैं। ऐसे में कालाबाजारी होने के सवाल एक बार फिर खड़े हो गए हैं।