मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 महामारी से त्रस्त व्यक्तियों तथा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) से वसूल नहीं हो पा रहे कर्जों के पुनर्गठन की छूट देने सहित अर्थव्यवस्था को इस संकट में संभालने के लिए बुधवार को कई नए कदमों की घोषणा की। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बताया कि ऋण पुनर्गठन संबंधी घोषणा के तहत कुल 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज वाली इकाइयों के बकायों के पुनर्गठन पर विचार किया जा सकेगा। यह सुविधा उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को मिलेगी, जिन्होंने पहले किसी पुनर्गठन योजना का लाभ नहीं लिया है।
इसमें छह अगस्त 2020 को घोषित पहली समाधान व्यवस्था भी शामिल है। इस नई समाधान-व्यवस्था 2.0 का लाभ उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को दिया जा सकेगा, जिनके कर्ज खाते 31 मार्च 2021 तक अच्छे थे। कर्ज समाधान की इस नयी व्यवस्था के तहत बैंकों को 30 सितंबर तक आवेदन दिया जा सकेगा। इसके 90 दिन के अंदर इस योजना को लागू करना होगा।
रिजर्व बैंक ने लघु-ऋण बैंकों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन की घोषणा भी की। दास ने कहा इसके तहत एमएसएमई इकाईयों को 10 लाख रुपये तक की सहायता को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कर्ज माना जाएगा। पीएनबी के एमडी और सीईओ सीएच एस.एस. मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि आरबीआई ने सही समय पर व्यक्ति, छोटे कारोबार और एमएसएमई को बचाने और विकास को गति दने के लिए जो कदम उठाया है उससे बुनियादी स्तर पर मदद मिलेगी। साथ ही कर्ज देने वाले संस्थान और राज्य सरकारों की मदद के लिए भी कदम उठाए गए हैं जिससे पर्याप्त तरलता और कर्ज का प्रवाह बना रहे।
राज्य सरकारों को ओवर-ड्राफ्ट पर रियायत
आरबीआई गवर्नर ने राज्य सरकारों के लिए ओवर-ड्राफ्ट के नियमों में कुछ ढ़ील दिए जाने की घोषणा भी की। इससे सरकारों को अपनी नकदी के प्रावह और बाजार कर्ज की रणनीति को संभालने में सुविधा होगी। इस ढील के बाद राज्य एक तिमाही में 50 दिन तक ओवर-ड्राफ्ट पर रह सकते है। पहले ओवर-ड्राफ्ट की स्थिति अधिकतम 36 दिन ही हो सकती थी।