साहित्य/संपादकीय /कविता
आ रहे राम सबके…
फिर से आ रहे राम सबके
वनवास सदियों का बिताकर
बैठेंगे वो फिर उच्च आसन
खुशी मनाएं मंगलाचार गाकर।
लौट आये जब राम वन से
पशु पक्षी भी सब लौट आये
सूनी पड़ी अयोध्या के मानो
भाग्य फिर से लौट आये ।
दिन रात आज प्रफुल्ल से
प्रसन्न मन दिशाएं भारी
दीपों की अवली संजोएं
जगमगाई अयोध्या सारी ।
आज सरयू के तटों पर
लहरें आती राम गाती
मछलियां पानी से ऊपर
उछलकर खुशियाँ मनाती ।
श्रीराम पद स्पर्श पाकर
हुए राह रजकण धन्य सारे
मना रहे दीपावली उत्सव
उस पल को साक्षी मान सारे ।
करके दर्शन युगल छवि के
धन्य होवेंगे भारतवासी
मिट जावेगी युगों युगों की
जो बैठी थी हृदय उदासी ।

व्यग्र पाण्डे
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