रायपुर,
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि गत दो वर्षों के अंतराल के बाद इस वर्ष रायपुर एवं प्रदेश सहित देश भर में दिवाली का त्यौहार बेहद नयी उमंग और ताजगी लेकर आया है जो इस बात से अच्छी तरह महसूस किया जा सकता है की पिछले एक सप्ताह से देश भर के बाज़ारों में ग्राहकों की भीड़ थमने का नाम ही नहीं ले रही है और ऐसा लगता है की दो वर्ष की खरीदारी की पूरी भरपाई लोग इस दिवाली की त्यौहारी खरीदारी से करने को बेहद उत्सुक हैं । इस बार की दीपावली की ख़ास बात यह भी है की देश भर के लोग ज्यादा तड़क भड़क की वस्तुओं के मुकाबले दिवाली के मौके पर सजने वाले घरों अथवा ऑफिस एवं दिवाली पूजा के लिए पारम्परिक वस्तुओं की खरीदारी पर जोर दे रहे हैं। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का अनुमान है की कुल मिलाकर इस वर्ष दिवाली पर व्यापार के सभी क्षेत्रों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होगा जिसमें चीनी सामान बिलकुल भी नहीं बिके हैं। कैट का यह भी अनुमान है की देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बाज़ारों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये ग्राहकों के माध्यम से आएंगे। कैट ने कहा की दो वर्ष की बेबसी और कुंठा को इस वर्ष की दिवाली ने उल्लास में बदला है जो भविष्य के व्यापार के लिए एक बड़ा संकेत है।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने उम्मीद जताई है की दिवाली से लेकर इस वर्ष के अंत तक लगभग 3 लाख करोड़ रुपये के बाजार में आने की सम्भावना है जिससे धन की तरलता आएगी और व्यापारियों का वित्तीय संकट कुछ हद तक समाधान होने के आसार हैं। उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री किसान निधि योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित सरकार की अन्य योजनाओं के अंतर्गत लोगो को दिया गया धन तथा इस वर्ष बैंकों द्वारा इंडस्ट्रियल लोन के मुकाबले पर्सनल लोन ज्यादा देने से जो पैसा लोगों के पास आया है वो अंतत बाजार में ही खर्च होने वाला है । इसलिए ही दिवाली से लेकर आने वाले समय तक देश भर के व्यापारी अच्छे व्यापार की उम्मीद कर रहे हैं।
कैट जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत“ आवाह्न को मूर्त रूप देते हुए गत वर्ष 10 जून को “ चीनी सामान के बहिष्कार“ का एक तीन वर्षीय राष्ट्रीय अभियान देश भर में शुरू किया था, वह अभियान इस वर्ष दिवाली के मौके पर अपने पूरे परवान पर है।
पारवानी एवं दोशी ने बताया की कैट की रिसर्च शाखा कैट ट्रेड एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसाइटी ने देश के विभिन्न शहरों में व्यापारियों के बीच एक रायशुमारी की जिसके आधार पर यह पाया गया की एक लम्बे अर्से के बाद इस बार दीवाली के मौके पर लोग खास तौर पर मिटटी के दिए, हाथ की बानी वंदनवार, मोमबत्ती एवं मोम के बने दिए, रुई , घर को सजाने के लिए रंगोली के रंग, मिटटी की हठरी, खांड के बने खिलौने, मिटटी के श्री लक्ष्मी एवं श्री गणेश जी, पेपरमेशी से बनी कंडीलें तथा पूजन के लिए खील -बताशे आदि खरीदने के लिए बेहद उत्सुक है जिससे वो अपने घरों को पारम्परिक रूप से सजा सकें।
पारवानी एवं दोशी ने यह भी बताया की इस वर्ष पैकेजिंग व्यापार बहुत तेजी से देश भर में बढ़ा है। एक अनुमान के अनुसार इस दीपावली पर पैकेजिंग का व्यापार लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का हुआ है । पैकेजिंग का कागज तथा उसको आकर्षक बनाने के अनेक तरह के रिबन एवं अन्य सजावटी वस्तुओं की मांग बहुत रही है। उन्होंने यह भी बताया की एक अनुमान के अनुसार देश भर में इस वर्ष कुम्हारों ने लगभग 500 करोड़ मिटटी के दिए बनाये होंगे । कुल मिलाकर पारम्परिक वस्तुओ का ही कारोबार का आंकड़ा लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का है। इस बार की दिवाली से छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में रहने वाले छोटे कारीगरों, लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का खरीदारी में बोलबाला रहा है ।
पारवानी एवं दोशी ने बताया की कोविड के दौरान व्यापारियों को अपने परिवार के साथ संवाद करने का बड़ा मौका मिला और पारिवारिक संवाद के जरिये युवा पीड़ी को भारत की संस्कृति, सभ्यता और परंपरा के बारे में ज्ञान हुआ जिसका परिणाम है की इस वर्ष दिवाली पूर्ण रूप से भारतीय परंपरा के अनुसार मनाई जा रही है। कैट ने देश भर में इस वर्ष की दिवाली को भारतीय दिवाली-लोकल दिवाली के रूप में मनाने का व्यापारियों को आव्हान किया है।