2023 तक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में पहुंचेगा नल

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि 17 दिसम्बर 2018 के पहले 18 हजार करोड़ रू. से अधिक लागत की 543 सिंचाई परियोजनाएं अधूरी छोड़ दी गई थीं। हमने मात्र दो साल में इनमें से 138 परियोजनाएं पूर्ण कर दी हैं तथा 405 का काम प्रगति पर है। इतना ही नहीं 17 दिसम्बर 2018 के बाद हमने 429 नई परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। जिनकी लागत 1 हजार 657 करोड़ रू. है।

लोकवाणी में विकास का नया दौर विषय पर बातचीत करते हुए बघेल ने कहा कि इस तरह मात्र ढाई साल में नई-पुरानी मिलाकर 150 सिंचाई परियोजनाएं हमने पूर्ण की हैं और 822 योजनाओं का काम शुरू करा दिया है, जिसे निर्धारित समय में पूरा कराने का लक्ष्य है। जहां तक पेयजल का सवाल है तो हमने जल-जीवन मिशन के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा। पहले प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 40 लीटर शुद्ध पेयजल प्रदाय का लक्ष्य था, जिसे अब बढ़ाकर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है। इस योजना के लिए चालू वर्ष में 850 करोड़ रू. का बजट आवंटन किया गया है। हमारा मानना है कि जब हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचने लगेगा तो उससे सबसे अधिक राहत हमारी माताओं, बहनों को मिलेगी। अपने घर पर लगे नल से, साफ पानी मिलना शुरू हो जाए तो यह विकास का सही मापदण्ड है। मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने जल-जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाने के लिए वर्ष 2024 की समय सीमा तय की है। लेकिन हम छत्तीसगढ़ में यह काम एक साल पहले पूरा करना चाहते हैं ताकि इससे ग्रामीण घरों में लोगों का समय और परिश्रम बचना जल्दी शुरू हो जाए, जिससे वे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे कामों में अधिक ध्यान दे पाएं।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी मंशा बिजली के उपयोग से हमारे प्रदेश की जनता, गरीबों, किसानों का आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़े, इससे उनके परिवार को संबल मिले और वे विकास के हर साधन और हर रास्ते का उपयोग कर सकें। छत्तीसगढ़ के कोयले से अगर बिजली बनती है तो उसके लाभ में सीधे हिस्सेदारी आम जनता की होनी चाहिए। यही वजह है कि हमने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1 हजार 822 करोड़ रू. का लाभ दे चुके हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली नि:शुल्क दी जा रही है। इसके अलावा 5 हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग 6 लाख किसानों को भी नि:शुल्क बिजली दी जा रही है। बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह नि:शुल्क दी जा रही है। इसी तरह बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए 1281 करोड़ रूपए के लागत के कार्य किए जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किए जा रहे हैं। राज्य में 1400 करोड़ रूपए की अधिक लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना, ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किए गए हैं। इस तरह से हमने बिजली को जनता की ताकत बनाने में सरकार की ताकत लगाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रू. का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से इसमें लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है। सुकमा में फूडपार्क की स्थापना हेतु अधोसंरचना विकास का कार्य शुरू कर दिया गया है। दुर्ग जिले में 78 करोड़ रू. लागत की वनोपज प्रसंस्करण के लिए वृहद इकाई स्थापित करने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है। ऐसी ही दर्जन भर अन्य इकाइयां, विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिए निजी संस्थाओं से करार किए गए हैं। आदिवासियों तथा वन आश्रित परिवारों को सीधा लाभ दिलाने के लिए हमने समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की। 17 वनोपजों की संग्रहण मजदूरी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि की, जिसके कारण 13 लाख से अधिक आदिवासियों और वन आश्रित परिवारों को हर साल 502 करोड़ रू. अतिरिक्त मिलेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हर साल लगभग 5700 करोड़ रू. का भुगतान किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना से होने वाला भुगतान भी 125 करोड़ रू. से अधिक हो चुका है। इस तरह हमने प्राकृतिक संसाधनों को लोगों की आय का जरिया बनाने का बड़ा कदम उठाया है और हमारी नजर में यही सार्थक विकास है।