दुर्ग,
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जी.एस. ठाकुर के निर्देशन एवं राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आर.के खंडेलवाल के मार्गदर्शन में तीन दिवसीय कार्यशाला शिक्षकों के लिए आयोजित की गयी। इस कार्यशाला का आयोजन शैक्षणिक संस्थाओं को तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने के लिए किया गया । कार्यशाला में जिले के शासकीय शालाओं के 200 शिक्षकों को 50-50 की संख्या में 4 बैच में प्रशिक्षित किया गया। आज अंतिम सभी बैच में जिले के धमधा, पाटन, निकुम ब्लॉक के शिक्षकों को प्रश्नोत्तरी में विजेता होने पर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की जिला सलाहकार डॉ. सोनल सिंह के द्वारा तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को सफल बनाने और स्कूली बच्चों को नशा से मुक्त रखने की जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया, “तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने के लिए स्कूल परिसर में शिक्षकों को भी तंबाकू का सेवन नहीं कर बच्चों को इसके प्रभाव में आने से रोकना है। शिक्षकों के साथ चर्चा में बताया गया, इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षण संस्थान को तंबाकू मुक्त संस्थान बनाना जिसमें स्कूल के 100 गज की दूरी में किसी भी तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर प्रतिबंध व शिक्षण संस्थान धूम्रपान एवं तंबाकू रहित रहे। इसके अतिरिक्त स्कूलों के स्वा-मूल्यांकन के 9 पॉइंट के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी।“
कार्यशाला में मुख्य वक्ता डॉ. मुनीष भगत ने बताया, “तंबाकू की आदत से व्यक्ति के जीवन पर संकट उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने बताया, धूम्रपान का धुआं स्वयं तम्बाकू का कश लेने वाले की सांस द्वारा फेफड़ों में जाता है। तंबाकू उत्पाद एक बार लेना प्रारंभ करता है तो उसका आदत हो जाती है। कार्यशाला में इसे छोड़ने के तरीकों के बारे में जानकारी दी गयी। धूम्रपान छोड़ने की तारीख निश्चित करना और इसका पालन करना। तम्बाखू उत्पाद, लाइटर, माचिस और ऐश ट्रे को नष्ट करना ताकि आपको उनकी जरुरत नहीं होगी। दृढ संकल्प होकर अपने परिवार से कहें कि आप धूम्रपान छोड़ रहे हैं। उनसे कहे कि वे आपको प्रोत्साहित करके आपकी मदद करें। लोगों को समझाएं कि तम्बाकू पर पैसा बर्बाद न करें, अच्छी पुस्तकें पढ़ने और समाजिक गतिविधियों में सहयोग प्रदान कर नशे की आदत को छुड़ाया जा सकता है।“
कार्यक्रम में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की सोशल वर्कर कविता ताम्रकार के द्वारा कोटपा एक्ट 2003 के बारे में जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया, “धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान प्रतिबंधित है व धारा 6 के तहत किसी भी शिक्षण संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री व 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर प्रतिबंध है।“
कार्यशाला के अंत में काउंसलर ललित साहू ने बताया, “तम्बाकू उत्पाद का कोई व्यक्ति सेवन करता है तो वह उसे छोड़ना चाहता है तो इसके लिए जिला चिकित्सालय में चलाए जा रहे तंबाकू मुक्ति केंद्र की ओपीडी में चिकित्सकों से परामर्श लिया जा सकता है ।“