भोपाल
प्रदेश की बिजली कम्पनियों में पदस्थ 67 हजार अधिकारी कर्मचारी आज काम पर नहीं गए हैं। वे अवकाश पर नहीं हैं लेकिन अपनी 18 मांगों को मनवाने के लिए ऊर्जा विभाग का काम नहीं करने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। सरकार का ध्यान आकृष्ट करने और अपनी मांगों की पूर्ति के लिए ये फिर 24 अगस्त से तीन दिन की हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। आज किए गए कार्य बहिष्कार में 25000 नियमित अधिकारी कर्मचारी, 6000 संविदा अधिकारी कर्मचारी एवं 35000 बिजली आउटसोर्स कर्मचारी सम्मिलित हैं। संगठन ने प्रदेश में बाढ़ ग्रस्त जिलों को इस हड़ताल से दूर रखा है।
यूनाइटेड फोरम फार पावर एम्प्लाइज एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि बिजली कर्मचारियों व अधिकारियों ने 24 अगस्त से 26 अगस्त तक तीन दिवसीय और 6 सितंबर से अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया है। फोरम के महासचिव वीकेएस परिहार ने कहा कि बिजली कर्मियों की जो मुख्य मांगें हैं उसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम-21 लागू न करे। सभी वर्गों के संविदा विद्युत कर्मियों को आंध्र और बिहार की तरह नियमित किया जाए। ठेका कर्मियों की सेवा सुरक्षित रखते हुए तेलंगाना/दिल्ली व हिमाचल प्रदेश की तरह भर्ती की जाए। विद्युत कंपनी के सभी अधिकारी कर्मचारीयो को फ्रंट लाइन कर्मचारियों की श्रेणी में रखकर मुख्यमंत्री कोविड-19 का लाभ दिया जाए।
रिटायर होने के बाद लंबित ग्रेच्युटी, जीपीएफ, अवकाश नकदीकरण,पेंशन आदि लंबित देय भुगतान तत्काल किया जाए। विद्युत कंपनियों में वरिष्ठता और उच्च वेतनमान के आधार पर सभी वर्गों में रिक्त उच्च पदों के चालू प्रभार प्रदान किए जाएं और रिक्त पदों को भरा जाए। मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार सभी प्रकार के मृत्यु प्रकरणों में विद्युत अधिकारी-कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
राष्ट्रीय पेंशन योजना में शासकीय अंशदान वेतन और मंहगाई भत्ते का 14 प्रतिशत किया जाए। नियामक आयोग के निर्देशानुसार 750 करोड़ रुपये की राशि पेंशन ट्रस्ट में जमा कर उत्तर प्रदेश शासन की तरह राज्य शासन पेंशन गारंटी लेकर पेंशन का भुगतान ट्रेजरी से कराए। सातवें वेतनमान की विसंगतियों का निराकरण किया। इसमें वर्ष 2006 के पूर्व एवं बाद में नियुक्त अभियंताओं में वर्गीकरण किया गया है। इसके अलावा अन्य मागें भी शामिल हैं।