15 अगस्त को पीएम फहराएंगे लाल किले पर झंडा, भारत में निर्मित हेलीकॉप्टरों से बरसाए जाएंगे फूल

नई दिल्ली ,

स्वतंत्रता दिवस को अब मात्र 15 दिन ही शेष हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। 15 अगस्त को लाल किले से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झंडा फहराएंगे और देश को संबोधित करेंगे। लेकिन इससे पहले सुरक्षा एजेंसियों को सामने एक मुसीबत आन पड़ी है। खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिला है कि आतंकी लाल किले पर हमले का प्लान बना रहे हैं।

हमले के इनपुट के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

इस इनपुट के बाद सभी सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। सुरक्षा एजेंसियां देश के माहौल व आतंकी हमले के इनपुट को देखते हुए लालकिले की सुरक्षा में कोई कोताही बरतना नहीं चाहती। जिसके बाद सतर्कता बरतते हुए प्रधानमंत्री की सिक्योरिटी यूनिट ने रविवार को लाल किले की सुरक्षा की कमान संभाल ली। यूनिट से भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। दूसरी तरफ ड्रोन व मिसाइलों को गिराने के लिए एंटी एयरक्राफ्ट गन की तैनात की जा रही हैं।

सुरक्षा में तैनात होगी एंटी एयरक्रॉफ्ट गन

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी हमले के इनपुट को देखते हुए एंटी एयरक्रॉफ्ट गन तैनात करने के लिए जगहों की पहचान कर ली गई है। उन्होंने बताया कि यहां कुल 8 एंटी एयरक्रॉफ्ट गन तैनात की जाएंगी। जिसमें से चार लाल किले के अंदर व चार बाहर तैनात होंगी। एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लालकिले की सुरक्षा में कंटेनर भी तैनात किए जा रहे हैं। लालकिले के अगले वाले हिस्से की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 12 से ज्यादा कंटेनर तैनात किए जा रहे हैं। इन कंटेनर से तीन-तीन मंजिल की दीवार बनाई जाएगी ताकि लालकिले की आगे की मूवमेंट सुरक्षा घेरे में रहे। इसके अलावा रूट की समीक्षा भी की जा रही है।

इस बार खास होगा आयोजन 

आयोजन समारोह से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस बार के महोत्सव को खास तरह से मनाया जायेगा। देश अपना अमृत महोत्सव मना रहा है तो इसी को ध्यान में रखते हुए भारत में ही निर्मित 2 हेलीकॉप्टरों से फूलों की वर्षा की जाएगी। यह हेलीकॉप्टर वहां मौजूद अथितियों पर फूलों की वर्षा करेंगे। इसके साथ ही इस बार भारत में ही बनी तोप से सलामी दी जाएगी। तोप को लालकिला परिसर में पहुंचा दिया गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि भारत में निर्मित तोप से सलामी दी जाएगी। इससे पहले विदेश में निर्मित तोप से ही सलामी  दी जाती थी।

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