ख़्वाब सुहाने देता जा………”अमृतांशु शुक्ला”

ख़्वाब सुहाने देता जा,
कोई तो कहानी देता जा,
तेरे संग गुजरी जो रातें,
उसकी ही निशानी देता जा।

ठहरा न रहे दिल साथ तेरे,
थोड़ी तो रवानी देता जा।
महके सारी उम्र इंतजार में तेरे,
ऐसी तू जवानी देता जा।

हो जाये ग़ज़ल सब बातें तेरी,
मुझको वो रुबानी देता जा।
भूले न भुलाये याद तेरी,
छुअन वो रूहानी तू देता जा।

जाने ये अँधेरा कब तक हो,
तू इक रात नूरानी देता जा।
मुझमें तू शामिल हो हरदम,
थोड़ी सी नादानी देता जा।।

-:अमृतांशु शुक्ला