नई दिल्ली
कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने नौकरीपेशा से लेकर कारोबार जगत को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। इससे बीते एक साल से अधिक समय में लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है और कारोबार में नुकसान उठाना पड़ा है। इसका असर बैंकों के कर्ज भुगतान पर देखने को मिला है। बैंको के लोन का विश्लेषण करने पर यह जानकारी मिली है कि बीते 15 महीने के दौरान होम लोन में चूक के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं। हालांकि, अब बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि सबसे बुरा दौर बीत गया है और आगे सुधार की पूरी उम्मीद है।
इंडियन मॉर्गेज गारंटी कंपनी (आईएमजीसी) जो 12,000 करोड़ मूल्य के होम लोन का प्रबंधन करती है का कहना है कि बीते एक साल में लोन चूक के मामले में दोगुनी की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी का कहना है कि वहीं 15 जून में हम जितने दावों का भुगतान कर रहे हैं, वह मार्च 2020 से लगभग तीन गुना है। बीते 15 महीने की अवधि में हम जिन दावों का भुगतान कर रहे हैं, उनकी संख्या तीन गुना बढ़ गई है। आईएमजीसी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प (एचडीएफसी), आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक सहित लगभग 20 ऋणदाताओं के लिए आवास ऋण सुनिश्चित करती है।
रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक का कहना है कि प्रॉपर्टी बाजार में करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये का कर्ज गंभीर दबाव में है। यानी इस कर्ज को एनपीए या डूबने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों ने रियल एस्टेट में 7.5 लाख रुपये का कर्ज दिया है जिसमें 5.02 लाख रुपये तनाव मुक्त हैं। वहीं, 1.35 लाख करोड़ एनपीए होने का खतरा है। ये ऋण बैंकों, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों) और होम फाइनेंसरों द्वारा रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए हैं। बैंकों का फंसा कर्ज देशभर के 50 डेवलपर्स के पास है।
कोरोना संकट के कारण देशभर में लगभग छह लाख मकानों का काम अटक गया है। इनकी कुल कीमत करीब पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। एनरॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, छह लाख लटके मकान देश के साथ बड़े शहरों के हैं। इनका निर्माण 2014 या उससे पहले शुरू की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.40 लाख करोड़ रुपये की 1.74 लाख मकान पूरी तरह से अटके पड़े हैं और इनमें से दो तिहाई घरों की कीमत 80 लाख रुपये से कम है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं। यहां 1.13 लाख मकान फंसे पड़े हैं, जिनका मूल्य 86,463 करोड़ रुपये है। उसके बाद मुंबई महानगर क्षेत्र में 42,417 करोड़ रुपये मूल्य के 41,730 मकान अटके पड़े हैं। फंसी पड़ी परियोजनाओं के मामले में एनसीआर अब आगे हैं। यहां छह लाख से ज्यादा इकाइयों में से 52 प्रतिशत फंसे पड़े हैं या उन्हें पूरा करने में देरी हुई हैं। इनका कुल मूल्य 2.49 लाख करोड़ रुपये है। वहीं मुंबई, महानगर क्षेत्र में 1.52 लाख करोड़ रुपये की 28 प्रतिशत मकान अटके पड़े हैं।