संभल
देश भर में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने की तैयारियों में जुटी हैं लेकिन संभल के बैनीपुर चक गांव में भाई सिर्फ इसलिए राखी नहीं बंधवाते कि कहीं राखी के एवज में मिलने वाले उपहार में वे उनसे उनकी जायदाद न मांग लें। जी हां, ये बात थोड़ी अजीब है लेकिन गांव वाले इसे बड़ी संख्ती से मानते हैं। यही कारण है कि बीते तीन सौ सालों से अधिक समय से इस गांव में राखी नहीं मनाई गई। इसके अलावा भी संभल में दर्जनभर ऐसे गांव हैं, जिनमें भाइयों की कलाई सूनी रहेगी।
संभल से आदमपुर मार्ग पर पांच किलोमीटर दूर बैनीपुर चक गांव यूं तो श्रीवंशगोपाल तीर्थ के कारण प्रसिद्ध है लेकिन गांव की एक और मान्यता इसे अलग बनाती है। इस गांव में राखी नहीं मनाई जाती। इसके पीछे की मान्यता के बारे में गांव के 75 वर्षीय सौदान सिंह व रघुनाथ सिंह बताते हैं कि उनके पूर्वज अलीगढ़ में अतरौली के सेमरई गांव के जमींदार थे। उनके परिवार में कोई बेटी नहीं थी। इसके कारण परिवार के बेटे गांव की ही दूसरी जाति के परिवार की बेटियों से राखी बंधवाने लगे। बताते हैं कि राखी पर एक बेटी ने राखी बांधकर उपहार में परिवार की जमींदारी मांग ली। परिवार ने भी राखी का मान रखा और गांव की जमींदारी दूसरी जाति को सौंपकर गांव छोड़ दिया और संभल के बैनीपुर चक में आकर बस गए। तभी यादवों के मेहर व बकिया गोत्र के लोग राखी नहीं मनाते।