नई दिल्ली
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह की मुलाकात हो रही है। असदुद्दीन ओवैसी के साथ ओमप्रकाश राजभर की लगातार बैठकें हो रही हैं। पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) उत्तर प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत कर रही है।
इसके साथ ही निषाद पार्टी समेत बिहार में अति पिछड़ों की विकासशील इंसान पार्टी भी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की राजनीति करने वालों के लिए थोड़ी असहजता पैदा कर रही है। कुल मिलाकर राज्य में इस तरह की राजनीतिक उठापटक इस बात का संकेत है कि आने वाले विधानसभा के चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाले हैं।
यूपी में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए आस-पास के राज्यों की पार्टियों ने अपनी जड़ों को जमाने के लिए पूरी ताकत लगानी शुरू कर दी है। कुल मिलाकर कोशिश यही है कि इस बार कैसे भी कर के भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाया जाए। इसके लिए कई दलों ने एक साथ मिलकर गठबंधन की घोषणा भी कर दी है।
कभी भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमईएम ने हाथ मिला लिया है। राजभर कहते हैं उनके साथ और भी तमाम छोटे राजनीतिक संगठन मिलकर उत्तर प्रदेश से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने में मदद करने के लिए आगे आए हैं।
राजभर कहते हैं उनकी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का मिलना यूपी में बहुत बड़े गठबंधन के साथ प्रदेश में नई सरकार बनाने में मददगार साबित होगा। उनका कहना है प्रदेश में बूथ स्तर पर उनकी पार्टी मजबूत नेटवर्क सत्ता पक्ष को हटाने के लिए मजबूत है।
असदुद्दीन ओवैसी ने एक बैठक में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार नहीं आने दी जाएगी। वहीं, ओमप्रकाश राजभर का यह कहना कि असदुद्दीन मुसलमानों के सबसे बड़े मसीहा बनकर सामने आ रहे हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बनें यह उनकी ख्वाहिश है।
राजनीतिक विश्लेषक एसएन कोहली कहते हैं यह महज राजनीतिक बयान है। हालांकि वह कहतै हैं कि यहां जैसे हालात हैं उसमें मुसलमानों को निश्चित तौर पर एक ऐसे बड़े नेता की तलाश है जो उनको संरक्षण दे सके। इसके लिए सपा आगे तो आई है लेकिन विकल्प के तौर पर निश्चित ओवैसी को संभावनाएं नजर आ रही हैं।
कोहली कहते हैं बिहार के राजनीतिक हालात को यूपी से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ओवैसी ने वहां जो प्रदर्शन किया वह उनका अपना नहीं था। उनके प्रत्याशियों का पहले से ही किसी न किसी पार्टी से संबंध था। लेकिन यूपी में खासकर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ओवैसी, राजभर के साथ मिलकर असर दिखा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं की जो मुलाकातें हो रही हैं उससे यहां नए गठबंधन के रास्ते खुलने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। इसी शनिवार को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात हुई।
दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात नहीं थी इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि मामला गठबंधन की राह पर चल निकला है। हालांकि आप सांसद संजय सिंह इस मुलाकात को महज आपसी सौहार्द की मुलाकात तक रखने की बात करते हैं लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके अलग मायने निकाले जाने लगे हैं।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं जिन पार्टियों की विचारधारा हमसे मिलती होगी उन सभी के साथ हमारी पार्टी जुड़ सकती है। आम आदमी पार्टी ने भी इसी तरह के संकेत दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आम आदमी पार्टी और अखिलेश यादव की जुगलबंदी सिर्फ दो लोगों तक ही सीमित नहीं होगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक जिस तरह सपा और आप, ममता बनर्जी की टीएमसी के साथ खड़े होते हैं उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि टीएमसी भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती है। विश्लेषकों के मुताबिक तीनों का गठबंधन यूपी की मुस्लिम बाहुल्य आबादी को बहुत बेहतर तरीके से साथ जोड़ने की ताकत रखता है।