औकात इतनी ही रहे कि जात पर न बात हो,
हो आपसी सद्भाव मन में,एकता ही गात हो।
माँ भारती को “बल” मिले,जब हाथ पर ही हाथ हो।
इंसान की औलाद ना, इंसानियत आघात हो।।
कौन सबके नाथ प्यारे कौन जग आवाम है।
हर आदमी ये कह रहा,श्री राम है, श्री राम है।।
श्री राम है , श्री राम है , श्री राम है , श्री राम है ।।
वो सिर्फ इक नारा नहीं,हम हिंदुओं का मान है,
है वीरता जिनकी बड़ी,इंसाँ नहीं भगवान है।
है कौन संहारक यहाँ और कौन जीवन धाम है,
हर आदमी ये कह रहा,श्री राम है, श्री राम है।।
श्री राम है , श्री राम है , श्री राम है , श्री राम है ।।
“बल्लू-बल”
(थानखम्हरिया)