हथेली में जब भी छुरा आएगा, समय आदमी का बुरा आएगा-“बल्लू-बल”

साहित्य,

हथेली में जब भी छुरा आएगा,
समय आदमी का बुरा आएगा।

धुआँ खा रहा यार सारा जहाँ,
कहाँ अब टुरी और टुरा आएगा।

जहाँ क़ीमती हो रहे नीर भी,
बता हाथ कैसे सुरा आएगा।

बुरे दौर में हाट पे शोर है,
रुपै पाँच ना कुरकुरा आएगा।

धुरंधर हमारा भी सरकार ‘बल’,
हमारे ही कब्ज़े धुरा आएगा।

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सुरा-शराब, हॉट-बाज़ार, धुरा- बैलगाड़ी का मुख्य भाग, टुरी- लड़की , टुरा – लड़का                                  *********

-: बल्लू-बल