नई दिल्ली
भारतीय सेना ने जानकारी दी है कि उन्होंने लिक्विड ऑक्सीजन को कम दबाव वाले ऑक्सीजन गैस में बदलने का समाधान खोज लिया है। जिन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कोरोना वायरस के मरीजों को दिया जाएगा। सेना ने अपने अधिकारिक बयान में कहा, तरल ऑक्सीजन को कम दबाव वाले ऑक्सीजन गैस में तब्दील करने के फॉमूले को 7 दिनों से अधिक समय में सेना के इंजीनियरों ने सीएसआईआर और डीआरडीओ के सहयोग से ढूंढा है। डीआरडीओ, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है। वहीं सीएसआईआर, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद है। सेना ने कहा कि अभी तक ऑक्सीजन को क्रायोजेनिक टैंक में लिक्विड फॉर्म में ढोया जाता है।
इसलिए लिक्विड ऑक्सीजन को ऑक्सीजन गैस में जल्द परिवर्तित करना मेडिकल विभाग के लिए बड़ी चुनौती थी। अमेरिकी सांसद ने की राष्ट्रपति जो बाइडेन से अपील, भारत को जल्दी भेजी जाए 6 करोड़ वैक्सीन डोज इस काम को मेजर जनरल संजय रिहानी के तहत एक विशेष टास्क फोर्स ने किया है। अधिकारिक बयान में कहा गया है कि कोविड बेड पर आवश्यक दबाव और तापमान पर लिक्विड ऑक्सीजन को ऑक्सीजन गैस में परिवर्तित सुनिश्चित करने के लिए, टीम ने छोटी क्षमता (250 लीटर) के एक स्व-दबाव वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया और इसे विशेष रूप से डिजाइन किए गए वेपोराइजर और सीधे इस्तेमाल वाले लीक प्रूफ पाइपलाइन के आउटलेट प्रेशर (चार बार) और प्रेशर वॉल्व से गुजारा गया है।
सेना के इस कदम से ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए बड़ी राहत की उम्मीद है। भारत कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है। जिसमें इलाज के लिए ज्यादातर मरीजों को मेडिकल लिक्विड ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। देश भर के कई राज्यों में टीका, ऑक्सीजन, दवाएं, उपकरण और बिस्तरों की काफी किल्लत है। सेना के इस खोज से गैस सिलेंडर के उपयोग के बिना ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकेगा और इसे बार-बार फिर से भरने की आवश्यकता नहीं होगी।