सीबीआई ने जज को टक्कर मारने वाले ऑटो चालक लखन और राहुल की कराए लाई डिटेक्शन समेत तीन टेस्ट

धनबाद
जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत मामले का सच सामने लाने के लिए सीबीआई ने सोमवार को ऑटो चालक लखन वर्मा के तीन टेस्ट कराए। सिंफर कैंपस में ही सीएफएसएल के विशेषज्ञों ने उसका लाई डिटेक्शन, फोरेंसिक साइकोलॉजिकल असेसमेंट व फोरेंसिक असेसमेंट एनालिसिस टेस्ट कराए। मंगलवार को राहुल के यही टेस्ट कराए जाएंगे।  सोमवार को लखन और राहुल को सीबीआई की विशेष दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल के न्यायालय में पेश कर सीबीआई ने दोनों की ब्रेन मैपिंग, लाई डिटेक्शन, फोरेंसिक साइकोलॉजिकल असेसमेंट, फोरेंसिक असेसमेंट एनालिसिस टेस्ट एवं नार्को टेस्ट (पॉलीग्राफी) की अनुमति मांगी। न्यायालय ने टेस्ट संबंधी अर्जी पर दोनों गिरफ्तार आरोपियों का मंतव्य पूछा। दोनों ने टेस्ट की सहमति दे दी। दोनों की सहमति के आधार पर न्यायालय ने सीबीआई को टेस्ट की मंजूरी दी।  अदालत के आदेश पर सीबीआई दोनों को वापस सिंफर कैंपस ले गई। जांच के लिए सीबीआई ने लैब से पहले ही सभी जरूरी मशीनें मंगा ली थीं। टेस्ट करने के लिए गुजरात एफएसएल से दो महिला विशेषज्ञ पहुंची हैं। सिंफर में कड़ी सुरक्षा के बीच पहले दिन नार्को व ब्रेन मैपिंग छोड़ लखन का बाकी तीनों टेस्ट कराए गए। मंगलवार को उसके सहयोगी राहुल की भी जांच होगी। सीबीआई इन वैज्ञानिक जांचों की रिपोर्ट के इंतजार में है। रिपोर्ट आने के बाद सीबीआई दोनों का नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करा सकती है।

धनबाद में ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट संभव नहीं
सीबीआई सूत्रों के अनुसार धनबाद में ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट नहीं हो सकता। ब्रेन मैपिंग टेस्ट की मशीनें सीएफएसएल दिल्ली व हैदराबाद के अलावा गुजरात के गांधीनगर लैब में हैं। उन मशीनों को कहीं ले जाना संभव नहीं है। इसी तरह नार्को टेस्ट भी सिर्फ हैदराबाद व अहमदाबाद लैब में होता है। इसलिए सीबीआई दोनों को ब्रेन मैपिंग व नार्को के लिए बाहर ले जा सकती है। हालांकि सीबीआई ने फिलहाल दोनों की रिमांड अवधि में विस्तार के संबंध में कोई भी आवेदन न्यायालय में नहीं दिया है। सीबीआई मान रही है कि लखन और राहुल की झूठ इन आधुनिक परीक्षण में ही सामने आ जाएगी। यदि इसके बाद भी सच्चाई सामने नहीं आती है तो आरोपियों को दिल्ली ले जाकर उनका ब्रेन मैपिंग टेस्ट करवाया जाएगा। इसके बाद भी यदि कोई शंका बची तो उनका नार्को टेस्ट कराया जाएगा। इसके लिए उन्हें फिर से रिमांड पर लिया जाएगा।

एसआईटी ने भी ली थी टेस्ट की मंजूरी
इससे पूर्व राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत से आरोपियों की ब्रेन मैपिंग एवं अन्य टेस्ट की अनुमति ली थी। कोर्ट ने एसआईटी को गुजरात के लैब से समय का स्लॉट लेकर अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया था। एसआईटी की टीम गुजरात स्थित लैब से समय का स्लॉट लेने का प्रयास कर ही रही थी, इसी बीच राज्य सरकार एवं झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई की टीमें वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ साक्षियों से पूछताछ के जरिए भी जज की मौत के रहस्य को सामने लाने के प्रयास में है। दोनों आरोपियों के मोबाइल नंबरों और घटनास्थल के कॉल डंप के आधार पर लगातार लोगों से पूछताछ हो रही है। सोमवार को लगातार तीसरे दिन पूछताछ का सिलसिला जारी रहा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए साक्ष्य से स्पष्ट है कि अभी तक एसआईटी की तरह सीबीआई के हाथ भी कोई ठोस सबूत नहीं लगे हैं, जिससे यह साबित किया जा सके कि आरोपियों ने साजिश रच कर जज की हत्या की हो।