सहकार भारती “राष्ट्रीय महिला को-आपरेटिव प्रमुख”का दायित्व शताब्दी पांडे को दिया गया

रायपुर. 
नगर की वरिष्ठ समाजसेवी तथा राष्ट्रीय विकास सलाहकार के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित कर रही शताब्दी पांडे को ,सहकार भारती के “राष्ट्रीय महिला को-आपरेटिव प्रमुख” का दायित्व दिया गया है . इसके पूर्व वे राष्ट्रीय महिला प्रमुख का दायित्व संभाल रही थीं . लखनऊ में आयोजित सहकार भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन में संपन्न हुए अधिवेशन में शताब्दी के नाम की घोषणा की गई है । ज्ञातव्य हो कि इस  अधिवेशन के मुख्य अतिथि देश के गृह तथा सहकारिता मंत्री अमित शाह थे जबकि प्रमुख विशिष्ठ अतिथि के रूप में उत्तरप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित थे .
उपरोक्त राष्ट्रीय अधिवेशन में देश और दुनिया में सहकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे विद्वानों तथा सहकारिता के विस्तृत पटल पर कार्य कर रहे संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है । अधिवेशन में मुख्य रूप से भैय्याजी जोशी ,सतीश मराठे (डायरेक्टर रिज़र्व बैंक ), राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पचपोर ,डॉ उदय जोशी, दीनानाथ ठाकुर,  राजेन्द्र थानवी के साथ अन्यान्य विद्वानों का मार्गदर्शन उल्लेखनीय है .
अधिवेशन के तीसरे दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा  की गई है जिसमे छत्तीसगढ़ राज्य बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष तथा महिला आयोग छत्तीसगढ़ की सदस्य रह चुकी शताब्दी सुबोध पांडे को  ‘राष्ट्रीय महिला को-ऑपरेटिव प्रमुख’ के पद पर मनोनीत किया गया है । शताब्दीपाण्डे छत्तीसगढ़ की पहली महिला कोऑपरेटिव बैंक की संस्थापक सदस्य है जिस बैंक की स्थापना आजसे 26 वर्ष पहले हुई थी।
महिलाओं की बेहतरी के लिए पिछले तीन दशकों से सतत प्रयासरत शताब्दी ने 4 हज़ार से ज्यादा स्व सहायता समूहों को संगठित कर उनके स्थायी जीविकोपार्जन की दिशा में सार्थक मॉडल स्थापित किये है । महिलाओं को सोशल इंटरप्रुन्योर बनाने में शताब्दी के श्रम साध्य कार्य खासे उल्लेखनीय है , शताब्दी को उनके द्वारा समाज और समुदाय हित में किये गए कार्यों के प्रतिसाद के रूप में राष्ट्रीय युवा पुरुस्कार, राज्य का प्रतिष्ठित मिनीमाता सम्मान , गोडफ्रे फिलिप्स सामजिक बहादुरी पुरुस्कार , राष्ट्पति सम्मान के अतिरिक्त दर्ज़नों राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है .
आपका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक वर्ष में 1400 व्याख्यान देने हेतु दर्ज है।
इस संवाददता से बातचीत करते हुए शताब्दी ने अपनी सामजिक सहभागिता की यात्रा के बारे में विस्तार से बताया .उन्होंने अपने 30वर्षों की यात्रा में महिलाओं के लिए अवसरों की सुनिश्चितता सुरक्षित करने के कार्यों का वर्णन किया है । राज्य बनने के पूर्व की महिलाओं की दशा दिशा और राज्य बनने के बाद की परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन साझा करते हुए वे कहती है कि पूर्व में महिलाएं सहकारी सस्थाओं के बारे में बिलकुल भी  नहीं जानती थी  उन्हें स्व सहायता समूहों में जोड़ने से लेकर बचत की भावना का विकास ,आय उत्पादक गतिविधियों के लिए प्रेरित करने से लेकर माइक्रो इंटरप्राइज विकसित करने तक का प्रशिक्षण प्रदान करना बड़ी चुनौती रही है । अपने हालिया प्रदत्त उत्तरदायित्व के बारे में उन्होंने कहा कि अब ज़िम्मेदारी ड्योढ़ी हो गई है , पहली प्राथमिकता में अधिसंख्य महिलों को सहकारिता से जोड़कर सहकारिता कानून के बारे में समझ पैदा करना और तत्संबंधी सीख विकसित करना अति आवश्यक है ।
बिना संस्कार नहीं सहकार ,ध्येय वाक्य के साथ पूरे भारत वर्ष में महिला सहकारिता को बल देना और उन्नत समाज कि स्थापना करना प्रमुख है । एक प्रश्न के जवाब में शताब्दी ने बताया कि इसके पूर्व सहकार भारती की राष्ट्रीय महिला प्रमुख एवम राष्ट्रीय मंत्री के दायित्व में रहते हुए उन्होंने सन्गठन के कार्य हेतु लगभग 21 प्रदेशों के प्रवास कर उन प्रदेशो की  महिलाओं की सहकार भारती सन्गठन में सक्रियता से सहभागिता बढ़ाने का कार्य किया है। उन्होंने बताया कि आज राष्ट्रीय स्तर पर सहकार भारती ने जो अपनी मार्गदर्शी भूमिका बनाई है यह हम कार्यकर्ताओं के लिए गर्व की बात है और इससे देश मे अब सहकारिता को प्राथमिक स्थान प्राप्त होगा। आगे आपने बताया कि सहकार भारती ने समय समय पर केंद्र सरकार को अपनी विशिष्ठ सलाह दी है जिसमे पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की मांग सर्वोपरि रही। केंद्र सरकार ने हमारी इस मांग को स्वीकार करते हुए पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की साथ ही अमित शाह को सहकारिता मंत्री बनाया इसके लिए हम प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन करते है।