रायपुर
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मीडिया प्रमुख तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड एवं वक्फकतार्ओं को आगाह कर कहा है कि शासकीय भूमि का मालिकाना हक सरकार का होता है तथा लीज होल्डर केवल उक्त नजूल भूखंड का एक निश्चित अवधि के लिए उपयोगधारी ही रहता है तथा शासन उक्त नजूल पट्टे को कभी भी निरस्त कर सकता है तथा वक्फ सम्पत्ति कयामत तक के लिए अल्लाह को स्थानांतरित हो जाती है। इसीलिए मालिकाना हक की वक्फ सम्पत्ति ही धार्मिक एवं चेरिटेबल कार्यों के लिए ही वक्फ की जाती है। वक्फ सम्पत्ति अहस्तांतरित होती है तथा उसे बेचा नहीं जा सकता है परन्तु भाजपा शासनकाल में वक्फ सम्पत्ति का दुरूपयोग भरपूर किया गया तथा करोड़ों की सम्पत्ति को वक्फ अधिनियम के विरूद्ध जाकर बंदरबाट कर दी गई।
रिजवी ने स्थापित नियमों के तहत दिए गएफैसले का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले का उदाहरण (एम.पी.एल.जे. 1990 पेज 217) दिया है जिसमें जस्टिस गुलाबचंद गुप्ता ने स्पष्ट करदिया है कि नजूल भूमि वक्फ हो ही नहीं सकती क्योंकि उक्त भूमि का स्वत्वाधिकार सरकार का होता है। साथ ही प्रदेश विधि विभाग का सन् 2006 में दिया गया अभिमत भीयही कहता है कि नजूल भूमि को लीज होल्डर यानि लेसी को वक्फ करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस के लगभग ढाई साल में भी भाजपा शासन के ही भांति प्रदेश की वक्फ सम्पत्ति का सर्वे, सीमांकन एवं अवैध कब्जा मुक्त कराने की दिशा में कोई पहल नहींकी गई है जो अल्पसंख्यकों के इस महत्वपूर्ण इदारे की उपेक्षा को दशार्ता है। रिजवीने तत्काल वक्फ बोर्ड गठन की मांग की है तथा अध्यक्ष पद पर पुराने अनुभव को देखते हुए किसी अवकाश प्राप्त न्यायिक दण्डाधिकारी को ही नियुक्त करने की मांग सरकार से की है।