भोपाल
वैज्ञानिकों को रिसर्च परियोजनाओं के अध्ययन का दायरा विस्तृत करते हुए आम आदमी की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को केंद्र में रखकर व्यावहारिक धरातल वाले प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिये। वर्तमान दौर में परियोजनाओं पर व्यावसायिक उद्यमिता के कोण से सोचने की आवश्यकता है। यह बात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने सोमवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के विभिन्न विभागों की विज्ञान परियोजनाओं की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कही।
मंत्री सखलेचा ने कहा कि परिषद् के वैज्ञानिकों को केवल विज्ञान को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट तक सीमित नहीं रहते हुए उद्योगों के लिए उपयोगी परियोजनाओं पर भी काम करना चाहिये। विज्ञान को उद्योगों से जोड़ने पर प्रदेश के विकास की गति और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कम से कम समय में पूरे होने वाले और प्रोफेशनल प्रोजेक्ट पर काम करने के बारे में विचार करने की जरूरत है।
परिषद के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी ने बताया कि परिषद् द्वारा डोंगला स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला और उज्जैन तारामंडल को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत की खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय छवि स्थापित करना है। उन्होंने बताया कि परियोजनाओं का उद्देश्य रिसर्च के साथ ही लोगों का सामाजिक विकास भी है।
मंत्री सखलेचा ने बैठक में शहरी जल जीवन मिशन, कृषि एवं मृदा, टिश्यू कल्चर, जलवायु परिवर्तन, वानिकी और पर्यावरण तथा जल संसाधन से संबंधित परियोजनाओं पर भी मंथन और चर्चा की। इस अवसर पर कार्यकारी संचालक तस्नीम हबीब ने जल संसाधन विभाग की विभिन्न परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी।