वैक्सीन की कमी पर कर्नाटक हाईकोर्ट सख्त, कहा- दूसरी डोज नहीं देना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन 

बेंगलुरु
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन वैज्ञानिकों ने तीसरी लहर की चेतावनी दे दी है। साथ ही आशंका जताई कि ये पहली और दूसरी लहर से भयानक होगी। ऐसे में इस महामारी से बचने के लिए पूरी आबादी का टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। वैसे केंद्र और राज्य सरकारें इसमें जुटी तो हैं, लेकिन आए दिन किसी ना किसी राज्य से वैक्सीन की कमी की खबर आ जाती है। गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में भी इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई। जिस पर कोर्ट ने कई अहम बातें कही हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी जाती है, तो उसे दूसरी डोज देना जरूरी है। अगर राज्य सरकार उसे दूसरी डोज नहीं उपलब्ध करवाती तो ये अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन होगा।

कोर्ट ने आगे कहा कि कोर्ट और राज्य दोनों को निर्देश देने के लिए ये एक उपयुक्त मामला है, ताकी वैक्सीन की पर्याप्त खुराक खरीदी जा सके और ये भी सुनिश्चित हो कि उन्हें दूसरी खुराक टाइम पर मिल जाए। खंडपीठ के मुताबिक सरकार के मंत्रियों और अन्य लोगों को जनता को सच्चाई बतानी चाहिए। इसके अलावा सरकार को जनता की भलाई के लिए साफ होना चाहिए। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि सरकार के लोग जनता के बीच कोई असंगत बयान ना दें, बल्कि टीकों की उपलब्धता को वेबसाइट पर डालें।