नई दिल्ली
विदेशों में तेजी के रुख के साथ त्योहारी मांग निकलने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली और पामोलीन सहित सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ में रहे। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी रहने से स्थानीय कारोबार पर इसका अनुकूल असर हुआ। इसके अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह की मांग बढ़ने से भी कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरकार ने देश में खाद्य तेलों के बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के मकसद से सीपीओ और सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क में 100-100 डॉलर की कमी की, लेकिन इसका असर उल्टा ही हुआ और विदेशों में इन तेलों के दाम बढ़ा दिये गये। इसके अलावा देश में पामोलीन के आयात को छूट देने से घरेलू तेलशोधक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और ये इकाइयां बंद होने के कगार पर पहुंच सकती हैं।
सरकार के इस फैसले का मकसद देश में तेल के भाव को नरम करना और इसकी उपलब्धता बढ़ाना था पर इसका लाभ सिर्फ विदेशी कंपनियों को मिलता दिख रहा है। बाजार सूत्रों का मानना है कि सरसों दाने की कमी की वजह से देश में लगभग 40-50 प्रतिशत पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं जबकि सोयाबीन के बीज की कमी की वजह से लगभग 60-65 प्रतिशत सोयाबीन तेल संयंत्र बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है, बल्कि तेल मिलों के पास बहुत सीमित मात्रा में स्टॉक है। आगे अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों के मौसम की मांग और बढ़ने ही वाली है, जबकि सरसों की अगली फसल आने में लगभग सात-आठ महीने की देर है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों दाने की किल्लत को देखते हुए सहकारी संस्था हाफेड को अभी से बीजों के लिए सरसों की खरीद बाजार भाव पर कर लेनी चाहिये, ताकि ऐन बिजाई के वक्त कोई परेशानी न हो। सरसों दाने की कमी होने की वजह से सलोनी, आगरा और कोटा में इसका भाव पिछले सप्ताह के 7,700 रुपये से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 7,900 रुपये क्विन्टल हो गया।