रायपुर
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परिवेश से आज की युवा पीढ़ी वंचित है। खासकर के गीत-संगीत, लोकगीतों को भली-भांति लोग समझते नहीं हैं। छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति (Chhattisgarh Folk Culture) को लोगों तक पहुंचाने के लिए राजधानी के अरविंद मिश्र (Arvind Mishra book on folk musical instruments) छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति (folk art and culture) पर लंबे समय से लेख लिखते आ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने वाद्य यंत्रों का गढ़ नामक किताब लिखी है। इसमें छत्तीसगढ़ के ऐसे वाद्य यंत्रों के बारे में जानकारी लिखी गई है जो आज के समय में विलुप्त हो रही है।अरविंद मिश्र लंबे समय से लेखन का कार्य कर रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं (national level journals) में भी उनके आलेख प्रसारित होते रहे हैं।
ईटीवी भारत ने उनके द्वारा लिखी गई किताब और उनके लेखन को लेकर खास बातचीत की उस दौरान उन्होंने बताया इस किताब में ऐसे वाद्य यंत्रों को लिया गया है, जिनमें सरगुजा और मैदानी इलाके के वाद्य यंत्र शामिल किए गए हैं। यह दुर्लभ है। आमतौर पर यह वाद्य यंत्र आसानी से देखने को नहीं मिलेगा और ऐसे दुर्लभ वाद्य यंत्रों को आने वाली पीढ़ी को जानना चाहिए कि वह कितने कर्णप्रिय और कितने लुभावने हैं। इसका उपयोग विश्व स्तर पर किस तरह किया जा सकता है। इस बात को अवगत कराने के लिए यह किताब लिखी है। संस्कृति विभाग ने चाहा है कि इसको स्कूलों, कॉलेजों में और संगीत विद्यालयों में इसका वितरण किया जाए। उन्होंने आगे बातचीत के क्रम में बताया कि
वर्तमान सरकार छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़पन को संवर्धित करने का कार्य कर रही है। इसी कारण मुझे यह मौका मिला है।