रविवासरीय संगीत सभा में कर्नाटक की कृतिका जंगिनमथ ने बाँसुरी वादन की दी प्रस्तुति

रायपुर। गुनरसपिया फाउंडेशन की 55वीं संगीत सभा रविवार को प्रात: 10 बजे से फेसबुक पर विजयपुर की दृष्टिबाधित युवा बाँसुरी वादिका कृतिका जंगिनमथ ने बाँसुरी वादन की प्रस्तुति दी। कृतिका  ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दन्नम्मा गिद्दविर एवं श्री रामनाथ हड़पड से प्राप्त की है।

उन्होंने पंडित चेन्नवीर बन्नुर से शास्त्रीय गायन की भी तालीम हासिल की है। बाँसुरी की प्रारंभिक शिक्षा बाबूजी नाइकोड़ी जी से प्राप्त करने के पश्चात वर्तमान में वे पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया से गुरु शिष्य परंपरा के तहत शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। वे शास्त्रीय बाँसुरी वादन के क्षेत्र में एक युवा हस्ताक्षर हैं।कृतिका जी ने अपने वादन की शुरूआत राग चरुकेशी से की।राग चरुकेशी में बहुत सुंदर आलाप-जोड़-झाला के बाद विलंबित तीनताल में गत की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद उन्होंने बाँसुरी पर प्रसिद्ध भजन- जय जगदीश हरे को शास्त्रीय अंदाज में बजा कर श्रोताओं की खूब तारीफे लूटीं। अंत में उन्होंने राग भैरवी पर आधारित एक धुन से अपने वादन का समापन किया।कृतिका के साथ उनके भाई और कर्नाटक के युवा कलाकार श्री कार्तिक जंगिनमथ जी ने तबले पर सुंदर संगत दी। सुंदर तानों, राग की शुद्धता,लयकारी और बाँसुरी व तबले के सवाल-जवाब द्वारा कृतिका ने श्रोताओं को मुग्ध ही कर दिया।

श्रोताओं ने खूब लाईक किया और उनके कार्यक्रम में लगातार दाद दी।अब तक गुनरस पिया की सभा में गायन,तबला-वादन,सितार-सरोद-सारंगी-संतूर वादन की प्रस्तुतियां हो चुकी हैं।युवा एवं नवोदित कलाकारों को रविवासरीय संगीत सभा के माध्यम से जन जन तक पहुचाने का कार्य संस्था द्वारा अनवरत जारी है।गुनरस पिया फाउंडेशन द्वारा कोरोना काल में देश-विदेश के कलाकारों को फेसबुक के माध्यम से कार्यक्रम प्रस्तुति हेतु अवसर दिया जा रहा है।गुनरस पिया फाउंडेशन शास्त्रीय संगीत के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार हेतु लगातार कार्य कर रहा है।कार्यक्रम के संयोजक श्री दीपक व्यास ने यह जानकारी दी।