मुंगेली। रायपुर और बिलासपुर से लगे मुंगेली जिले को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सूची में शुमार किया गया है जिसके चलते अब इस जिले अलग बजट, पुलिसकर्मियों को अलग से भत्ता और अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे। इसके अलावा इस क्षेत्र में काम करने पुलिस कर्मियों का नाम नक्सल प्रभावित थाने में ड्यूटी के रुप में रिकॉर्ड में दर्ज होगा। पुलिस मुख्यालय ने इससे संबंधी आदेश शुक्रवार को जारी किए। वहीं दूसरी ओर बालोद को नक्सल प्रभावित जिले से बाहर किया गया है।
पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी आदेश में कहा गया है कि मुंगेली जिला 1 जुलाई से एसआरई जिले की सूची में शामिल किया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि पूर्व में शामिल बालोद जिले को इस सूची से अलग किया जा रहा है। यानी की अब बालोद जिला एसआरई जिले की सूची में नहीं गिना जाएगा। मुंगेली जिले का लोरमी इलाके का एक छोर मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित डिंडौरी जिले से लगता है, जबकि दूसरा छोर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कवर्धा जिले से लगा हुआ है। इन दोनों जिलों में बीते कुछ दिनों में नक्सल गतिविधियों में तेजी आई है। इसके चलते मुंगेली जिले में लगातार नक्सलियों के आने-जाने की सूचना समय-समय पर पुलिस और खुफिया विभाग को मिलती रहती है। यही वजह है कि बीते 10 सालों में कई ऐसे मौके आए हैं। जब पुलिस ने इलाके में सघन सर्चिंग अभियान तक चलाया है।
कवर्धा में अभी कुछ समय पहले नक्सलियों ने बड़ी माओवादी हमले की साजिश रची थी। उसे पुलिस ने नाकाम कर दिया था। इसको लेकर साजिश रचने वाले 16 नक्सलियों के खिलाफ कवर्धा जिले के भोरमदेव थाने में नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी। इस पूरे मामले का खुलासा मई महीने में सरेंडर करने वाले नक्सली दिवाकर उर्फ किशन और देवे उर्फ लक्ष्मी के बयान के बाद हुआ था। दोनों की निशानदेही पर बकोदा के जंगलों से 10 लाख रुपए कैश, बड़ी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद किया गया था। इसी के चलते अब मुंगेली जिले में भी पुलिस ने चौकसी बढ़ाई है।