साहित्य
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर साहित्य, मानस मर्मज्ञ डॉ आदित्य शुक्ल शिव-पार्वती, राम-सीता एवं कृष्ण-राधा के प्रेम पर आधारित एक विशेष छंद के प्रस्तुत कर सभी को मंगलकामनाएं दी।
शिव जी को पाने पार्वती ने तपस्या की तो,
शिव जी भी जीवन प्रतीक्षा में बिताते हैं।
सीता जब वन गईं, राम मन संग गए,
राज – काज केवल शरीर से निभाते हैं।
राधा लोकरूप में जो कृष्ण को न पा सकीं तो,
राधा बिन कृष्ण भी अधूरे रह जाते हैं।
शिव – पार्वती, राम-सीता, कृष्ण – राधा आज,
इसीलिये रोज हर – घर पूजे जाते हैं।
डॉ आदित्य शुक्ल