नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) मराठा आरक्षण से जुड़े बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाएगा। बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के फैसले को बरकरार रखा था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ बुधवार को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। आरक्षण मुद्दे पर लंबी सुनवाई में दायर उन हलफनामों पर भी गौर किया जाएगा कि क्या 1992 के इंदिरा साहनी फैसले (इसे मंडल फैसला भी कहा जाता है) पर बड़ी पीठ के पुनर्विचार करने की जरूरत है, जिसमें आरक्षण की सीमा 50 फीसदी निर्धारित की गई थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने जून 2019 में आरक्षण कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 फीसदी आरक्षण उचित नहीं है। रोजगार में आरक्षण 12 फीसदी, जबकि दाखिले में 13 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण के अलावा न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट भी शामिल हैं।