मनरेगा से बने नहर से किसानों के चेहरों पर आई मुस्कुराहट : 80 किसानों के खेतों तक महीडबरा जलाशय का पानी पहुंचा.

महीडबरा के किसान इस साल मुस्कुरा रहे हैं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बने नहर ने उन्हें यह मौका दिया है। इन नहरों के माध्यम से अब महीडबरा जलाशय का पानी गांव के 80 किसानों के 75 हेक्टेयर जमीन तक पहुंचेगा। सिंचाई के साधनों के अभाव में केवल खरीफ के मौसम में कोदो-कुटकी उगाने वाले आदिवासी बहुल गांव महीडबरा के किसानों के लिए रबी की फसलों के बारे में सोचना भी कभी दूर की कौड़ी हुआ करती थी। पर मनरेगा ने अब उनके खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर दी है।

कबीरधाम जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर वनांचल क्षेत्र के  महीडबरा में सिंचाई के लिए न तो नहर-नाली बनी थी और न ही कोई नरवा (बरसाती नाला) बहता था। वहां महीडबरा नाम से ही एक पुराना जलाशय जरूर है, पर सिंचाई के लिए कोई नहर-नाली की संरचना इससे नहीं जुड़ी थी। गांव के किसान लंबे समय से इस जलाशय का पानी खेतों तक पहुंचाना चाह रहे थे, जिससे वे अपने खेतों को भी एक-फसली से दो-फसली में बदल सकें। ग्रामीणों की यह बहुप्रतीक्षित मांग वर्ष 2020-21 में पूरी हुई जब मनरेगा से 14 लाख 66 हजार रूपए की लागत के महीडबरा जलाशय से मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं दो माइनर नहरों के निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ। तकनीकी तौर पर भी यह काम अच्छे से हो सके, इसके लिए जल संसाधन विभाग को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया।1A28E7AC568B1718B0E9033A6469D22E

फरवरी-2021 में नहर निर्माण का काम शुरू हुआ। स्थानीय किसानों में इसके प्रति उत्साह इस कदर था कि नहर विस्तारीकरण में जहां-जहां शासकीय जगह की कमी हुई, वहां-वहां संबंधित किसानों ने अपनी निजी जमीन का कुछ हिस्सा स्वेच्छा से दे दिया। इस काम में 1455 मनरेगा श्रमिकों को 6403 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। इसके एवज में उन्हें 12 लाख 21 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया गया। कार्य की अच्छी गुणवत्ता के लिए जरूरत के मुताबिक दो लाख 39 हजार रूपए सामग्री मद में भी व्यय किया गया।

मनरेगा श्रमिकों ने लगातार 12 सप्ताह तक काम कर 1800 मीटर लंबी मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं माइनर नहरों का निर्माण कार्य पूरा किया। इस साल अप्रैल में नहर के तैयार हो जाने के बाद महीडबरा जलाशय से पानी छोड़ा गया जो 80 किसानों के करीब 75 हेक्टेयर रकबे में पहुंचा। रबी सीजन में पहली बार अपने खेतों तक पानी पहुंचता देख किसान काफी खुश हुए। सिंचाई का साधन नहीं होने से जो किसान अब तक केवल वर्षा आधारित खरीफ की फसलें ले पाते थे, वे अब रबी की फसलें भी ले सकेंगे। इससे उनकी खुशहाली और समृद्धि का रास्ता भी खुलेगा।