नई दिल्ली
जबसे भारत के सैन्य विमानों की टुकड़ियों में बाहुबली लड़ाकू विमान राफेल शामिल हुआ है, तबसे ही चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है। भारत के राफेल की ताकत से चीन और पाकिस्तान इस कदर डर चुका है कि वह न सिर्फ अपनी सामरिक ताकत बढ़ाने में जुट गया है, बल्कि मजबूरन उसे अपने लड़ाकू विमानों की पोजिशनिंग को भी बदलना पड़ रहा है। इस मामले से परिचित लोगों की मानें तो मार्च में जब से राफेल लड़ाकू विमानों में लैस हैमर मिसाइल का टेस्ट हुआ है, तब से ही चीन और पाकिस्तान दोनों के एयर डिफेंस पोस्चर (हवाई रक्षा मुद्रा) में बदलाव आया है। राफेल लड़ाकू विमानों में लगी हैमर मिसाइल 60 किलोमीटर दूर तक किसी भी तरह के लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है। हवा-से-धरती पर मार कर सकने वाली इस मिसाइल का निशाना बहुत सटीक बताया जाता है।
हैमर हथियार ने टेस्टिंग लोकेशन पर अपने टारगेट को ध्वस्त करने में सफल रहा। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो भारतीय वायुसेना के अंबाला बेस में पहले राफेल स्क्वाड्रन पूरा होने पर चीन और पाकिस्तान की नींद हराम हो गई। अंबाला एयरबेस पर राफेल की तैनाती के तुरंत बाद चीन ने अपने कथित 4.5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान जे-20 को तिब्बत और शिनजियांग एयरबेस में आगे की ओर तैनात कर दिया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने भी राफेल लड़ाकू के स्पष्ट और मौजूदा खतरे से निपटने के लिए अपने चीन से खरीदे जेएफ -17 लड़ाकू विमान को भी अहम फॉरवर्ड बेसों में तैनात कर दिया।