भारतीय विदेश मंत्री का US दौरा, भारत को वैक्सीनेशन में फायदा दिलाएंगे जयशंकर! 

नई दिल्ली/वॉशिंगटन
भारत में कोरोना के दूसरी लहर ने जो कहर बरपाया है, उसे कभी भारतीय नहीं भूल पाएंगे। इसीबीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका के दौरे पर पहुंच गये हैं, जहां कई बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी बात होने वाली है। खासकर वैक्सीनेशन को लेकर एस. जयशंकर को अमेरिका में कई सफलता मिल सकती है। भारत में बात अगर विदेशी वैक्सीन की करें तो अभी तक सिर्फ रूस की स्पुतनिक वैक्सीन का ही इस्तेमाल भारत में शुरू हुआ है और अब उम्मीद की जा रही है कि एस. जयशंकर अमेरिकन वैक्सीन कंपनियां मॉडर्न और फाइजर के साथ भी अहम बातचीत कर सकते हैं। 

फाइजर और मॉडर्ना से बातचीत फाइजर और मॉडर्ना लंबे वक्त से भारतीय बाजार में उतरना चाह रही हैं लेकिन कुछ वजहों से भारत सरकार के साथ उनका समझौता नहीं हो पा रहा है। अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना ही काफी तेजी से वैक्सीनेशन का काम कर रही हैं और भारत में भी इन दोनों वैक्सीन को लाने की कोशिश जारी है। हालांकि, अभी तक बात नहीं बनी है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर फाइजर और मॉडर्ना के निर्माताओं से अहम बातचीत कर सकते हैं और अगर इन दोनों वैक्सीन कंपनियों से बात बन जाती है तो यकीनन इसका फायदा भारत के लाखों लोगों को होगा और भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार और तेज हो सकेगी। 

बाइडेन प्रशासन से मुलाकात अमेरिका में 20 जनवरी को सत्ता परिवर्तन हो गया था और उसके बाद से अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आये थे और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की क्वाड समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात हुई थी। वहीं, बाइडेन प्रशासन के आने के बाद भारतीय विदेश मंत्री का ये पहला अमेरिका दौरा है। इस दौरान अमेरिका ने भारत को कोरोना संकट के दौरान काफी ज्यादा मदद दी है। लिहाजा माना जा रहा है कि बाइडेन प्रशासन के साथ भारतीय विदेश मंत्री की कोरोना संकट को लेकर बात हो सकती है। अफगानिस्तान-चीन पर चर्चा कोविड संकट के दौरान भारतीय विदेश मंत्री और बाइडेन प्रशासन के बीच अफगानिस्तान और चीन के मुद्दे पर भी अहम बातचीत होने की संभावना है। 

इससे पहले भारतीय पीएम ने क्वाड की बैठक में हिस्सा लिया था और अफगानिस्तान से भी अमेरिकन फौज वापस जा रही है, लिहाजा अफगानिस्तान और चीन के मुद्दे पर अमेरिका और भारत की बातचीत हो सकती है। क्वाड की बैठक के दौरान भी अमेरिका ने चीन को लेकर काफी सख्ती दिखाई थी. खासकर चीन एक बार फिर से एशियाई और दक्षिण अफ्रीकी देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है, लिहाजा भारतीय विदेश मंत्री और बाइडेन प्रशासन के बीच चीन को लेकर भी बातचीत हो सकती है।