प्रेम का दीप जलाना सीखो, दिल का भेद हटाना सीखो…..”बल्लू-बल”

साहित्य,

प्रेम का दीप जलाना सीखो,
दिल का भेद हटाना सीखो।
करो नहीं अपनों से घृणा,
ईर्ष्या – द्वेष मिटाना सीखो।।

चलो, एक दस्तूर हो जाये,
जिससे वो मजबूर हो जाये।
एक दीपक ऐसा जलाना ,
जो खुदा को मंजूर हो जाये।।

ये रौशनी का पर्व है, माना,
पर एक काम करके जाना।
सारे पुराने घाव मिटाकर ,
दुश्मन को भी गले लगाना।।

आज उन्हें भी करना याद,
लाकर होठों पे फरियाद ।
कुर्बानी दी हमारे खातिर,
जो वतन के हैं सैंयाद ।।

अगर वो रूठे, जग रूठेगा,
हर किसी का दिल टूटेगा।
एक दीप उनके नाम जलाना,
वरना न तन से जाँ छूटेगा।।

-: बल्लू-बल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here