नारायणी साहित्यिक संस्थान एवं यूको बैंक, अंचल कार्यालय का आयोजन

रायपुर,

नारायणी साहित्यिक संस्थान एवं यूको बैंक, अंचल कार्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार सायं सुन्दर नगर स्थित ‘कोपलवाणी’ संस्थान में “बहु भाषी काव्य संध्या” का आयोजन किया गया।

राजकुमार मसंद ( सिंधी भाषा )

हर को थो शहर में रहणु चाहे
गांव में सुञ अची वई आहे।

जा इमारत अडी हुई सिक सां
हाणि खंडहर बणी वई आहे।

हिन्दी में भावार्थ :-

हर कोई शहर में रहना चाहता है
गांव अब सुनसान होने लगा है।

वो घर जो बनाया था प्यार से
आज खंडहर सा होने लगा है।

हरजीत जुनेजा ( पंजाबी भाषा )

धीयां नूं रब दे सौगातां
होवे कोई ना दुखी जहान उत्ते
सुखना धीयां दी वी सुख्या करो लोकों
जन्म दियॉं एहो ही शख़्शियतां महान ऐथे

हिन्दी में भावार्थ :-

बेटियों को ईश्वर सौगातों से भर दे,
बेटी कोई भी दुखी न हो इस जहां में,
मन्नतें बेटियों की भी मांगा करो लोगों,
जनम ये ही देतीं है महान शख्सियतों को।

डॉ मृणालिका ओझा – छत्तीसगढी भाषा

खेल – खेल म कोनो ल,
सच्ची जीत मिलय नहीं,
वो का जाने अंजोर के माने,
जे अंधियार ले लड़य नहीं।

हिन्दी में भावार्थ :-

खेल – खेल में किसी को भी
सच्ची जीत मिलती नहीं,
उजाले का अर्थ उन्हें क्या पता
जो अंधेरे से लड़ते नहीं।

डॉ चित्तरंजन कर – उडिया भाषा

मन र झरखा खोलि रखि धाअ,
आसिबे कला कन्हाई।
अंतर बेदना कहिब ताहांकु,
ह्रद मंदिरे बसाइ।

हिन्दी में भावार्थ :-

मन का झरोखा खोल कर रखो
कृष्ण आएँगे।
अंतर्वेदना सुनानी हो उन्हें तो
पहले ह्रदय मंदिर में बसा लो।

सुख़नवर रायपुरी- उर्दू भाषा

दिल कहता है बच्चों के खिलौने मैं खरीदूँ
ग़ुरबत मुझे कहती है न ले दाम बहुत है।
जीने को तो जी लूंगा कई ज़ख्म भी खाकर,
तुम ने जो दिया है, वही इल्ज़ाम बहुत है।

आर डी अहिरवार- हिन्दी भाषा

अगर चाहत है अच्छी नींद की मेहनत करो इतनी,
पसीना जब निकल जाये फ़िर उसके बाद घर आना।

सुश्री कुमुद लाड ( मराठी भाषा )

होळी, होळी, होळी रंगाची होळी,
सप्तरंग जीवनात भरू दे होळी,
अहंकाराचा होतेय कसा विनाश,
हेच सान्गवया येते होळी प्रतिवर्ष।

हिन्दी में भावार्थ:-

होली, होली, होली रंगों की होली,
सप्तरंग जीवन में भर देगी होली,
करता है कैसा विनाश अहंकार,
यह बतलाता है होली का त्यौहार।

श्रीमती हर्षा बेन बुधभट्टी ( गुजराती भाषा )

शुं लाव्या हता ने शुं लई जवाना,
जे छे तेमां आनंद कर।

शुं थयु हतु ने शुं थवानु छे,
अत्यारे जे छे तेमा आनंद कर।

हिन्दी में भावार्थ :-

क्या लाये थे क्या ले जाना है,
जो है उसका ही आनंद ले।

क्या हुआ था क्या होने वाला है,
अभी जो है उसका ही आनंद ले।

श्री राजेश जैन ‘राही’ – हरियाणवी भाषा

हास्य क्षणिका

पत्नी जी, बढ़ती महंगाई से उबरन की तरकीब खोज रिया हूं,
म भी अब भ्रष्ट बनने की सोच रिया हूं।

या सुन धरआली बोल्ली-
भ्रष्ट बनना थारा बस का कोनी
पकड़े गए जेल की हवा खानी पडगी
घर म निठल्ले पड़े रहे हो
जेल म मोमबत्ती बनानी पड़ेगी।

श्री सुभाष चंद्र साह – हिन्दी भाषा

तूफानों में जलने वाला मैं अखंड दीया हूं,
संघर्ष में उत्कर्ष का गीत नया मैं गाता हूं।

शिवानी मैत्रा – बांग्ला भाषा
बांग्ला आमार भाषा, बांग्ला आमार प्रान,
बांग्ला भाषा के जानाई, आमार प्रनाम

हिन्दी में भावार्थ:-
बांग्ला मेरी भाषा है, बांग्ला मेरी जान है,
बांग्ला भाषा को मेरी ओर से, बहुत प्रणाम है।

इसके अतिरिक्त कुन्दन सिंह ठाकुर, अंजली मैडम, राजेन्द्र ओझा, श्रीमती लतिका भावे, डॉ रामकुमार बेहार, अनिल श्रीवास्तव ‘जाहिद’, कुमार जगदलवी सुधीर शर्मा, डॉ कमल वर्मा, श्रीमती माधुरी कर, तेजपाल सोनी, विजय कुमार लाड, यशवंत यदु “यश”, रिक्की बिंदास, चेतन भारती, संजीव ठाकुर, आलिम नक़वी, सुनील पांडे, योगेश शर्मा ‘योगी’, शकुंतला कलवानी, आई डी रलवानी, टीकम नागवानी, के पी सक्सेना ‘दूसरे’, शीलकांत पाठक, डॉ अर्चना पाठक, आशा मानव, प्रियंका उपाध्याय, शोभा मोहन श्रीवास्तव, मोहन श्रीवास्तव, परितोष पाणिग्रही, रोशन बहादुर सिंह, चंद्रशेखर गोस्वामी, रंजीत रात्रे आदि कवियों ने भी अपनी कविता का पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन उर्मिला देवी ‘उर्मि’ तथा अनिल श्रीवास्तव ‘जाहिद’ एवं धन्यवाद ज्ञापन सुभाष चंद्र साह, मुख्य प्रबंधक, राजभाषा, यूको बैंक अंचल कार्यालय द्वारा किया गया।