भोपाल
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरजे राव एनसीटीई के चलने वाले कोर्स की मान्यता हासिल नहीं कर सके हैं। दो साल में वे बीएड की मान्यता हासिल करने में अक्षम साबित हुए हैं। वहीं वर्तमान सत्र में वे बीपीएड और एमपीएड की मान्यता भी गवां चुके हैं। क्योंकि कुलपति राव मापदंडों की पूर्ति के अभाव में दोनों कोर्स के यूजी और पीजी में प्रवेश की अनुमति नहीं ले सके हैं। इसलिए उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें काउंसलिंग में शामिल नहीं किया है।
उच्च शिक्षा विभाग एनसीटीई के आठ कोर्स का पहला अलाटमेंट 14 अगस्त को जारी करेगा। इसमें प्रवेश के दो विवि को प्रवेश नहीं मिल सकेंगे। क्योंकि बीयू कुलपति राव एनसीटीई के मापदंडों को पूरा नहीं कर सके हैं। इसलिए उन्हें बीएड, बीपीएड और एमपीएड की सीटों पर प्रवेश कराने की स्वीकृति नहीं दी गई है। इससे बीयू को काफी आर्थिक नुकसान भी होगा। इसका असर नैक निरीक्षण में संकट खड़ा करेगा।
शारीरिक शिक्षा विभाग में बीपीएड की 50 और एमपीएड की 30 सीटों प्रवेश होते हैं। अनुमति नहीं मिलने के कारण एनसीटीई ने विभाग को काउंसलिंग में शामिल करने की अनुमति नहीं मिली, लेकिन विद्यार्थी प्रवेश लेने च्वॉइस फिलिंग में बीयू की तलाश करते रहे। जब उन्हें मालूम हुआ कि बीयू को प्रवेश की बाध्यता नहीं हैं। इसलिए विद्यार्थियों ने निजी कॉलेजों को अपनी च्वॉइस बनाकर सीटें लॉक कर ली हैं। उन्हें मेरिट सूची में स्थान मिल गया है। 14 अगस्त को उन्हें कॉलेज आवंटित हो जाएंगे।
वर्तमान सत्र को जोड़कर बीयू के बीएड का तीसरा जीरो ईयर घोषित हुआ है। जबकि पिछले दो साल से स्टॉफ पर बीयू करीब 55 लाख रुपए खर्च कर चुका है। अब वर्तमान सत्र में स्टॉफ पर करीब 20 से 25 लाख रुपये और खर्च होंगे। जीरो प्रवेश होने पर बीयू आमदनी बिलकुल भी नहीं होगी। एनसीटीई ने तीसरे साल भी नियुक्तियों के अभाव में मान्यता नहीं दी है।
रीवा को एनसीटीई दिया जीरो: एनसीटीई ने बीयू के अलावा रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के बीपीएड और एमपीएड के कोर्स की प्रवेश की अनुमति पर रोक लगाई है। यहां भी कुलपति राजकुमार आचार्य एनसीटीई में कोई करिश्मा नहीं दिखा सके हैं। जबकि विभाग ने इंदौर के देवी अहिल्या विवि, ग्वालियर के जीवाजी विवि और जबलपुर के रानी दुर्गावति विवि के बीपीएड और एमपीएड में प्रवेश कराने काउंसलिंग में भागीदारी कराई है।