देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कैसे थे वो आखिरी 4 दिन? 

नई दिल्ली
भारत के इतिहास में आज यानी 27 मई का दिन बहुत ही यादगार है। 27 मई के ही दिन साल 1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का हृदयाघात से निधन हो गया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने के बाद आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों से इतिहास भरा है। जवाहरलाल नेहरू के आखिरी दिनों में उनका स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं था। साल 1964 की शुरुआत से ही उनकी तबीयत में गिरवाट आने लगी थी। जनवरी 1964 में जवाहरलाल नेहरू को भुवनेश्वर में दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद से ही उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी। इस साल जवाहरलाल नेहरू का अधिकत्तर काम लाल बहादुर शास्त्री देखते थे। जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर आइए हम आपको उनके आखिरी दिनों के बारे में बताते हैं।

जवाहरलाल नेहरू अपने आखिरी दिनों में अपने सबसे पसंदीदा शहर देहरादून में थे। 1964 में 23 से 26 मई तक जवाहरलाल नेहरू के अंतिम चार दिन देहरादून शहर में व्यतीत हुए, जिसे वे बेहद प्यार करते थे। आराम और विश्राम के लिए जवाहरलाल नेहरू अक्सर देहरादून जाते थे। प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू यहां के सर्किट हाउस में रहते थे जो अब राजभवन में परिवर्तित हो गया है। यहां के वातावरण में नेहरू बहुत आराम महसूस करते थे। नेहरू वहां के विशाल जंगल भरे मैदान में टहलते थे तो कभी अपने पसंदीदा कपूर के पेड़ के नीचे घंटों चुपचाप बैठकर पक्षियों की आवाज सुनते थे। 23 से 26 मई जवाहरलाल नेहरू ने देहरादून में ऐसे ही आराम में बिताया था। 

25 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू ने क्या किया? 26 मई को जवाहरलाल नेहरू देहरादून से दिल्ली आए थे। इस से ठीक एक दिन पहले 25 मई को जवाहरलाल नेहरू ने अपने पुराने मित्र और पूर्व मंत्री और राज्यपाल श्री प्रकाश के साथ कोटलगांव में दोपहर का भोजन किया। कोटलगांव अजो मसूरी रोड पर आठ मील की दूरी पर है। दोपहर के बाद इंदिरा और नेहरू ने सहस्त्रधारा सल्फर स्प्रिंग्स का दौरा किया। शाम होने से पहले नेहरू इंदिरा के साथ सर्किट हाउस लौट आए। हालांकि उनके निकटजनों को उनकी सेहत में बहुत सुधार नहीं दिख रहा था। 26 मई को जवाहरलाल नेहरू देहरादून से दिल्ली आए 26 मई को नेहरू ने कई बार दिल्ली आने के अपने प्लान को टालने की कोशिश की थी। वह ईमानदारी से अपने प्रवास को बढ़ाने के लिए तरस रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं होना था, क्योंकि अगले दिन दिल्ली में उनकी कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियां थीं। आखिरकार, 26 मई को दोपहर को निर्धारित प्रस्थान करने का प्लान बनाया गया था। प्लान था कि दिल्ली में नेहरू को एक रात का आराम दिया जाएगा और अगले दिन उन्हें नियुक्तियों में शामिल होना होगा। 26 मई शाम 4 से 5 बजे के बीच नेहरू हेलीकॉप्टर से देहरादून से दिल्ली आए थे। 

देहरादून से हेलीकॉप्टर लेते हुए आखिरी बार नेहरू को सार्वजनिक तौर पर देखा गया था। छोटी भीड़ उन्हें विदा करने आई थी, हेलिकॉप्टर के दरवाजे पर खड़े होकर नेहरू ने बायां हाथ सबको दिखाया। वहां मौजूद पत्रकार राज कंवर के मुताबिक नेहरू को अपना बांया हाथ उठाने में दिक्कत हुई थी तो इंदिरा गांधी ने उनको सहारा दिया। दिल्ली आने के बाद 26 मई की रात जवाहरलाल नेहरू जल्दी सोने चले गए। हालांकि उनको अच्छे से नींद नहीं आई और कई बार रात को उठे। रात को वह पीठ और कंधे में दर्द की शिकायत करते रहे। उन्हे पेन किलर दवा देकर सुलाने की कोशिश की गई थी। ये भी पढ़ें- माउंटबेटन की डायरी सार्वजनिक करने से ब्रिटेन का इनकार, नेहरू-एडविना-भारत को लेकर राज खुलने का डर! 27 मई की सुबह आया हार्ट अटैक जवाहरलाल नेहरू को 27 मई को सुबह लगभग 06.30 बजे पैरालिटिक अटैक आया और उसके थोड़े ही देर बाद हार्ट अटैक आया। इसके बाद वह बेहोश हो गए। इंदिरा गांधी ने फौरन डॉक्टरों को फोन किया। 3 डॉक्टर आए और जवाहरलाल नेहरू का इलाज शुरू किया। लेकिन तब तक जवाहरलाल नेहरू का शरीर कोमा में चला गया था। इलाज का जवाहरलाल नेहरू कोई रिस्पांस नहीं कर रहे थे। डॉक्टरों को मालूम हो गया था कि जवाहरलाल नेहरू के शरीर पर इलाज का असर नहीं हो रहा है। कई घंटों की कोशिश के बाद 27 मई दोबहर 2 बजे जवाहरलाल नेहरू के निधन की अधिकारिक घोषणा की गई।