नई दिल्ली
भारत में कोरोना संकट जारी है, दूसरी लहर आने के बाद से हर दिन हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है। इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने अपने एक शोध में दावा किया है कि दूसरी लहर के पीछे प्रवासी मजदूर भी जिम्मेदार हैं। साथ ही धार्मिक आयोजनों के कारण भी इसका विस्तार हुआ।
खबरों के अनुसार आईसीएमआर के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शुरुआती दौर के कोरोना संक्रमण के प्रसार के लिए मुख्य रूप से प्रवासी मजदूर के आवागमन और धार्मिक आयोजन प्रमुख कारण हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2020 से अगस्त 2020 के बीच सार्स सीओवी 2 के सीक्वेंस के विश्लेषन से स्पाइक प्रोटीन में ई484क्यू म्यूटेशन के होने का पता चला है। आईसीएमआर की तरफ से कहा गया है कि देश में कोरोना वायरस के तीन वैरिएंट बी 1.1.7,वैरिएंट ऑफ कंसर्न और बी 1.351 मिले थे। इन वैरिएंट को लेकर स्थिति काफी चिंताजनक थी क्योंकि ये रोग प्रतिरोधी क्षमता को कम कर देते हैं।
बताते चलें कि उत्तर भारत के कई राज्यों से लाखों की संख्या में मजदूर देश के महानगरों में रोजगार करते हैं। कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन में इन मजदूरों के सामने रोजगार संकट उत्पन्न हो जाता है। जिस कारण लाखों की संख्या में ये वापस अपने राज्य जाते हैं। मजदूरों के साथ ही कोरोना का संक्रमण भी इन राज्यों तक पहुंचने की संभावना रहती है।
बताते चलें कि देश में कोरोना से हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही है। हालांकि कोविड-19 के नए मामलों में धीरे-धीरे कमी दर्ज की जा रही है। दूसरी लहर का पीक अब खत्म माना जा रहा है। गुरुवार की सुबह जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में 2,76,110 नए केस सामने आए इस अवधि में 3,874 लोगों की मौत हुई। बुधवार को 2.67 लाख नए मामले सामने आए थे।
इधर वैज्ञानिकों ने कोविड की तीसरी लहर आने की आशंका भी जतायी है। संक्रमण संबंधी अनुमान जताने के लिए गणित का इस्तेमाल करने वाले सूत्र मॉड से जुड़ वैज्ञानिक एम विद्यासागर ने कहा है कि यदि देश में टीकाकरण अभियान तेज नहीं किया गया गया तो आगामी छह से आठ महीने में कोविड की तीसरी लहने आने की आशंका है।