दाह संस्कार में परिजनों से वसूले जा रहे हैं 25 से 30 हजार, हर कदम पर लूट रहे हैं सौदागर

पटना 
कोरोना संक्रमितों की मौत से एक ओर उनका परिवार टूट रहा है तो दूसरी ओर उसके शव के अस्पताल से निकलने से लेकर एंबुलेंस लेने और श्मशान घाट में दाह संस्कार तक में उनके परिजन लूटे जा रहे हैं। एक मरीज की मौत के बाद उसके दाह संस्कार करने में 25 से 30 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। उस मरीज की मौत और उनके परिजनों के दर्द से ना तो अस्पताल संचालक और वहां के डॉक्टरों को कोई मतलब है और ना ही एंबुलेंस संचालक और यहां तक कि श्मशान घाट के कर्मी और डोमराजा को। 

सभी हर स्तर पर लूट-खसोट कर मृतकों के परिजनों को खून के आंसू रुला रहे हैं। एक ओर निजी अस्पताल पीपीई किट के लिए मरीज के परिजनों से 56 से 60 हजार रुपये वसूल रहे हैं तो दूसरी ओर कई लोग उनके नाम पर आई रेमडेसिविर और ऑक्सीजन सिलेंडर को दलालों को बेच मोटी कमाई कर रहे हैं। निजी अस्पताल जहां सरकार द्वारा निर्धारित दर से ज्यादा वसूलने के लिए खून जांच, एचआरसिटी, व अन्य जांच के लिए अलग से हजारों रुपये वसूल रहे हैं। दोयम दर्जें के अस्पताल भी कोविड के इलाज की अनुमति लेकर लूट रहे हैं। 

केस 1
महाराजगंज के सीएमओ राजेश्वर सिन्हा की तीन दिन पहले गांधी मैदान स्थित निजी हॉस्पिटल में मौत हो गई। वे कोविड पॉजिटिव थे। हॉस्पिटल ने पीपीई किट के लिए 56 हजार रुपये वसूले। इसके बाद हॉस्पिटल कर्मी ने एंबुलेंस बुलाया, जिसने बांसघाट तक शव पहुंचाने के लिए छह हजार रुपये की मांग की। वह भी तब जब तार हॉस्पिटल से बांसघाट की दूरी दो किमी से भी कम है। दाह-संस्कार में परिजनों को 15 हजार रुपये और खर्च करने पड़े। 

केस 2
आईजीआईसी के एक चिकित्सक की सास की मौत कोरोना से हो गई। अस्पताल से बांसघाट शवदाह गृह जाने के लिए उन्होंने एंबुलेंस को बुलाया। मात्र चार किलोमीटर के लिए एंबुलेंस संचालक ने नौ हजार रुपये वसूले। इसके पहले बांस की चाली और मरकिन के कपड़े के लिए उनसे ढाई हजार रुपये लिए गए। अस्पताल से एंबुलेंस तक ले जाने के लिए ट्रॉलीमैन और कर्मियों ने दो हजार रुपये वसूले। शव जब बांसघाट पहुंचा तो एंबुलेंस से शदाहगृह तक ले जाने के लिए तीन हजार रुपये उनसे वसूले गए। बांसघाट में पंडित ने 1550 रुपये और डोमराज ने छह हजार रुपये की वसूली की। इसके अलावा लकड़ी के लिए भी तीन हजार रुपये वसूले गए। डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कहने को सरकार ने कोरोना संक्रमितों के शव के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की है। एंबुलेंस के लिए दर तय किए हैं, शवदाह गृह पर लकड़ी नि:शुल्क मिलने की बात कही जा रही है। लेकिन हकीकत क्या है, यह किसी मृत कोरोना संक्रमित के परिजन से पूछा जा सकता है। बताया कि मरने के बाद अस्पताल से दाह संस्कार तक में कम से कम 25 से 30 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं अन्यथा शव की दुर्गति करने की धमकी दी जाती है।