गुरु वाणी,
परम पूज्य गुरुदेव श्री संकर्षण शरण जी (गुरुजी) ने आज जूम के माध्यम से उपस्थित होकर सभी शिष्य,शिष्याओं और प्रदेश वासियों को को दशहरा की शुभकामनाएं दिए। असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की जीत दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए यह बताएं कि दस इंद्रियां पांच ज्ञानेंद्रियां पांच कर्मेंद्रियां यह दस की नकारात्मक शक्ति पराजित हो जाए और सकारात्मक जीत जाय, हरा- भरा रहे तब दशहरा होता है । दस विकार जो बुराई के हैं वह समाप्त हो जाए और सबके अंदर अच्छाई विद्यमान रहे सबके अंदर की ज्ञान इंद्रियां और कर्में इंद्रियां हमेशा चैतन्य रहे, सबके पास शौर्य और ऊर्जा रहे, सकारात्मक विचार रहे,सबके अंदर नई ऊर्जा का संचार हो। यही भगवान राम से प्रार्थना किए, सब की उज्जवल भविष्य और प्रसन्नता की मंगल कामना करते हुए पूज्य गुरुदेव ने सबको आशीर्वाद दिए साथ में इस पर्व का महत्व बताएं । एक दशानन है और एक दशरथ है, दशानन जो दस मुख से सब कुछ स्वयं पा लेना चाहते हैं , अहंकार के दस सिर जो कभी झुकना नहीं चाहता है , और दूसरा दशरथ है जिसकी कीर्ति दसों दिशाओं में विद्यमान है।
भगवान राम सबसे पहले इन विकारों को समाप्त किए और पूरे विश्व मे धर्म की स्थापना किए, सब जगह दशहरा मनाया जाने लगा ।