नई दिल्ली
दुनिया में अगर कोई मुल्क तालिबान का सबसे गहरा दोस्त है तो वो पाकिस्तान है, लेकिन कहावत है कि जो दूसरों के लिए खाई खोदता है, वो खुद उसमें गिरता है. आशंका जताई जा रही है कि तालिबान अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान को अस्थिर कर वहां के परमाणु हथियारों पर कब्जा कर सकता है. दरअसल पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का भंडार असुरक्षित माना जाता है और अक्सर ये चिंता जताई जाती है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपंस आतंकियों के हाथ लग सकते हैं.
अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को लेकर एक ऐसी खबर आ रही है, जिसने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. अमेरिका को डर है कि तालिबान की नजर परमाणु हथियारों पर है. अगर ये आशंका सच साबित होती है तो कयामत आ सकती है. पूरी धरती पर तबाही का खतरा मंडरा सकता है. दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में शुमार किए जाने वाले तालिबान को अगर सबसे विध्वंसक न्यूक्लियर हथियार मिल गए तो उसका नतीजा क्या होगा, इसका अंदाज लगाना भी मुश्किल है.
अफगानिस्तान में आतंक की हुकूमत कायम कर चुका तालिबान क्या महाविनाश के हथियार हासिल करने की साजिश रच रहा है. क्या तालिबान अब न्यूक्लियर हथियारों के दम पर दुनिया को डराना चाहता है. इस खतरे की घंटी अमेरिका के कुछ सांसदों ने बजाई है. इन सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को चिट्ठी लिखकर पूछा है कि तालिबान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए अमेरिकी सरकार क्या कर रही है.
तालिबान ने जिस तरह अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है, उसे देखते हुए न्यूक्लियर खतरा और बढ़ जाता है. अब सवाल है कि आखिर तालिबान को परमाणु हथियार कहां से मिल सकते हैं. तो इसका सीधा और आसान जवाब पाकिस्तान है. आशंका है कि तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर कर वहां के परमाणु हथियारों के भंडार पर कब्जा जमा सकता है. तालिबान इतना ताकतवर हो चुका है कि उसने चुटकियों में अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है और इस अभियान में पाकिस्तान ने खुल कर उसकी मदद की.