डीएवीवी की अंकसूची पर अब लगेगी डिजिटल मुहर

इंदौर
 स्नातक- स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (देअवीवी) से जारी होने वाली अंकसूची में बदलाव किया जा रहा है। बरसों से अंकसूची पर कुलसचिव की परंपरागत मुहर (सील) लगाई जाती है। उसके बदले अब जल्द ही अंकसूची पर डिजिटल साइन नजर आएगी। प्रस्ताव को कुलपति डा. रेणु जैन की तरफ से मंजूर हो चुका है। अधिकारियों के मुताबिक अगले महीने से नई अंकसूची में डिजिटल साइन रहेगी।

सालभर में विश्वविद्यालय करीब चार लाख से ज्यादा अंकसूची जारी करता है। एेसे में कई बार मुहर की स्याही फैल जाती है। इसके चलते कई मल्टी नेशनल कंपनियां नौकरी देने से पहले उम्मीदवारों की अंकसूची की प्रमाणिता जांचने पर जोर देती है। इसके लिए विश्वविद्यालय को अंकसूची भेजते है। इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय का काफी समय बर्बादा होता है। अब इसे बचने के लिए अधिकारियों ने अंकसूची में डिजिटल साइन का इस्तेमाल करने पर विचार किया है।

बीते दिनों प्रस्ताव बनाकर परीक्षा व गोपनीय विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार रचना ठाकुर ने कुलपति डा. रेणु जैन के समक्ष रखा है। दो मर्तबा बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों व प्रोफेसरों से राय ली। उसके बाद डिजिटल साइन अंकसूची में इस्तेमाल की मंजूरी दी है। डिप्टी रजिस्ट्रार रचना ठाकुर ने बताया कि जल्द ही अंकसूची में बदलाव किया जाएगा। नई अंकसूची में डिजिटल साइन होंगे।

अंकसूची में सिक्यूरिटी फीचर भी

डिग्री के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी अंकसूची में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी में जुट गया है। डिग्री की तरह अंकसूची का कागज रखा जाएगा। यूजीसी के निर्देश को लेकर विवि अंकसूची में विद्यार्थियों का फोटो लगाने के बारे में सोच रहा है। यहां तक सिक्यूरिटी फीचर भी जोड़ा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अंकसूची पर वाटर मार्क, बार कोड जैसी फीचर हो सकते है। फिलहाल कुलपति से चर्चा के बाद प्रस्ताव बनाया जाएगा।