कौस्तुभ शर्मा
भारत में 7 करोड़ 7 लाख मधुमेह रोगी हैं और जहाँ तक उच्च रक्तचाप का संबंध है, कुल 30% रोगियों में इसकी व्यापकता है, जो हृदय और अन्य रोगों के पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। जैसे कि अक्सर चर्चा की जाती है, हमारी आज की जीवनशैली इस उच्च प्रसार के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि हममें से अधिकतर लोगों को काम के सिलसिले में अथवा व्यक्तिगत कारणों से एक ही दिन में विभिन्न स्थानों और कभी-कभी विभिन्न समय क्षेत्रों में जाना पड़ता है. इसके अलावा लोग कार्य के दबाव को कम करने के लिए कई गलत जीवनशैली विकल्पों, जैसे अतिरिक्त कार्ब, गरिष्ठ भोजन, चीनी, मदिरा, ड्रग्स और कैफीन का सहारा लेते हैं; साथ ही उनके भोजन में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी होती है और मस्तिष्क चिंता, तनाव और अवसाद से गुजर रहा होता है। इन कारणों से समग्र स्वास्थ्य प्राप्त करना अत्यधिक कठिन है। इसी कारण जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों ने भारत में इतनी तेजी से वृद्धि देखी है कि भारत को अब मधुमेह की राजधानी कहा जाता है। विश्व पोषण सप्ताह के अवसर पर, हम इस लेख में उच्च रक्तचाप और मधुमेह को कम करने पर केंद्रित मन:कायिक अभ्यास, आहार और जीवन शैली में परिवर्तन के संदर्भ में करने योग्य शक्तिशाली सुझाव और उपचार साझा कर रहे हैं।यदि आपको याद हो, बचपन में कभी भी आपका माथा तप रहा हो या पेट में दर्द हुआ हो तो आपकी माँ या दादी के पास पहले से ही एक समाधान होता था। वे अजीब से दिखने वाले पत्तों और जड़ों से किसी बर्तन में दवा तैयार करतीं और इससे पहले कि आप डॉक्टर के पास जाते, आप ठीक हो गये थे। आपको स्पष्ट रूप से याद है कि कैसे वे आपको कभी भी खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलने देती थीं, चाहे आपको कितनी भी देर हो जाए। उनके पास बहुत अच्छे घरेलू उपचार थे और कैसे वे हमें उनका पालन करने के लिए राजी करती थीं अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे देती थीं; लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते गये और वयस्क जीवन की मांगों के साथ तालमेल बिठाने लगे, यह अनुपम ज्ञान पीछे छूट गया।
लेकिन इसका एक सकारात्मक पक्ष यह है कि इसने जीवन शैली से जुड़े विधि और निषेध के बारे में एक उच्च जागरूकता प्रदान की है। हम में से कई लोग अब स्वस्थ विकल्पों की तलाश के लिए अतिरिक्त श्रम करने को तैयार हैं। हाल के वर्षों में न्यूनतम जीवन शैली और जैविक भोजन के प्रति दृष्टिकोण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। समग्र दृष्टिकोण और प्रकृति से निकटता के कारण आज बड़ी संख्या में लोग आयुर्वेद और योग को अपना रहे हैं।
मधुमेह और उच्च रक्तचाप दोनों की जड़ में जोखिम कारकों में से एक तनाव है। यदि आप तनाव को प्रबंधित करने वाले उपकरणों से लैस हैं तो आपने आधी लड़ाई जीत ली है। तनाव शरीर में ग्लूकागन हार्मोन के स्राव को बढ़ाता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। प्राणायाम, ध्यान, योग आसन और सुदर्शन क्रिया के साथ-साथ सही आहार ग्लूकागन को कम करने के लिए सही सिद्ध हुआ है और इंसुलिन क्रिया में सुधार करने में भी मदद कर सकता है। हालांकि तनाव मधुमेह का प्रमुख कारण है, लेकिन इस रोग के परिणामस्वरूप रोगी अत्यधिक तनावग्रस्त हो जाते हैं, जो समस्या को और बढ़ा देता है। यहां ध्यान मदद कर सकता है. ध्यान उनके आत्मविश्वास के स्तर को बहाल करता है और वे रोग से लड़ने और अच्छी तरह से जीने की ताकत हासिल करते हैं। मधुमेह रोगियों में शर्करा युक्त पदार्थों के लिए एक आम लालसा होती है। अध्ययनों से पता चला है कि अधिक जागरुकता और ध्यान के अभ्यास का परिणाम शर्करा की लालसा पर भी बेहतर नियंत्रण रखने में मदद कर सकता है।
सुदर्शन क्रिया यौगिक श्वास के विज्ञान से प्राप्त सबसे व्यापक श्वास तकनीकों में से एक है। यह स्वास्थ्य संवर्धन का 5000 वर्ष पुराना सटीक विज्ञान है। सुदर्शन क्रिया इच्छित स्वास्थ्य प्राप्त करने और उसे बनाये रखने के लिए शरीर पर मन और भावनाओं के प्रभाव को पहचानती है। यह श्वास की विशिष्ट लय के माध्यम से तनाव को दूर करने में सहयोग करती है और शरीर के भीतर विभिन्न अंगों और प्रणालियों का सहयोग करती है, जिससे मन की शांति प्राप्त होती है और यह प्रबल भावनाओं को परिवर्तित कर देती है, इस प्रकार पूरे मन:कायिक प्रणाली का सहयोग करती है। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक की देखरेख में सुदर्शन क्रिया का अभ्यास एक बार सीखकर घर पर प्रतिदिन किया जा सकता है। सुदर्शन क्रिया के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि हम क्या खाते हैं। भोजन किसी भी बीमारी पर अद्भुत काम कर सकता है।
आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ प्रशिक्षक और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. निशा मणिकांतन ने मधुमेह के लिए कुछ घरेलू उपचार साझा किए –
मधुमेह रोगी को रोजाना सुबह और शाम 30 मिलीलीटर करेले का रस पीना चाहिए। करेला और भिंडी रक्त और मूत्र में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। 4 से 5 भिंडियों को आधा काट कर रात भर के लिए भिगो दें। मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए अगली सुबह इस पानी को पी लें।
जामुन के बीज का चूर्ण रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ लेना चाहिए। जामुन की छाल और पत्तियों को एक कप पानी में उबालकर आधा कप दूध में मिलाकर पीने से रोग का बढ़ना बंद हो जाता है।
भीगी हुई मेथी को प्याज के साथ खाएं या फिर भीगे हुए बीजों का पानी पिएं। जोड़ों में दर्द की समस्या वाले लोगों को मेथी के दानों के चूर्ण को पानी के साथ रोजाना सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए।
रोज सुबह खाली पेट नीम के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए
बेल भी फायदेमंद होता है।
भीगे हुए सदाबहार के फूल और पत्तियों को छानकर सुबह पीने से लाभ होता है।
मधुमेह के रोगी के लिए मिठाई का सेवन वर्जित है
आम, केला और सेब जैसे मीठे फलों से परहेज करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप के घरेलू उपचार हैं:
दिन में 2-3 बार एक गिलास गर्म नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पिया जा सकता है।
तरबूज का रस सुबह-सुबह खाली पेट बहुत फायदेमंद होता है और सेब का सेवन करने से भी ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
आप धनिया पाउडर को शहद के साथ मिला कर ले सकते हैं।
जब आप टहलने जाते हैं तो अदरक का एक छोटा टुकड़ा 4-5 तुलसी के पत्तों और 4-5 छोटे क्यूब्स सेंधा चीनी के साथ मुंह में रखना चाहिए। रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए इसका सेवन धीरे-धीरे करना चाहिए।
नीम के 20 पत्तों को पानी के साथ चबाने से रक्तचाप कम होता है।
छिलके सहित उबले हुए आलू रक्तचाप को कम करने के लिए मूल्यवान होते हैं क्योंकि वे कम मात्रा में नमक को अवशोषित करते हैं।
उच्च रक्तचाप के रोगियों को नमक रहित आहार की सलाह दी जाती है।
कच्ची सब्जियों के रस का सूप और सलाद, विशेष रूप से गाजर और पालक, का सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद के इस शस्त्रागार से मधुमेह और उच्च रक्तचाप के राक्षसों को आसानी से हराया जा सकता है।