रायपुर.
जिले के शून्य से पांच वर्ष तक के 3.48 लाख से ज्यादा बच्चों को पल्स पोलियो अभियान के अंतर्गत पोलियो की खुराक 27 फरवरी को पिलाई जाएगी । इसके लिए माइक्रो प्लान तैयार किया जा चुका है। तैयारियों को अंतिम रूप देने लिए जिले में टास्क फोर्स की बैठक 22 फरवरी 2022 को आयोजित की जाएगी । राज्य में 4 लाख पल्स पोलियो की खुराक भी उपलब्ध कराई गई है । साथ ही विकासखण्ड स्तर पर भी तैयारी जारी है। कोई कमी ना रहे इसके लिये निगरानी टीम नियमित रूप से बैठकें कर रही हैं ।
पल्स पोलियो अभियान की जानकारी देते हुए जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. आशीष वर्मा ने बताया “पल्स पोलियो अभियान के लिए माइक्रो प्लान तैयार है। 27 फरवरी को इस अभियान की शुरुआत की जाएगी । पोलियो बूथ पर पोलियो की दवा पिलाई जाएगी। जिले में 3,48,078 बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने का लक्ष्य मिला है। जिले में कुल 1,392 टीकाकरण बूथ बनाए गए है । इन बूथों में 5,568 वैक्सीनेटर तैनात रहेंगे । जिला स्तर पर सात निगरानी टीमें बनाई गई है । प्रत्येक टीम में 2 सदस्य होंगे । जिसमें 278 पर्यवेक्षको की निगरानी में प्रत्येक बूथ पर दो सदस्यों वाली दो टीमें रहेगी। लक्ष्यकृत 3.48 लाख बच्चों में अभनपुर के निर्धारित180 बूथों में 0 से 5 वर्ष आयु के 31,908 बच्चें, धरसीवाँ के 142 बूथों में 30,820 बच्चें, तिल्दा के निर्धारित 222 बूथों में 36,706 बच्चे, आरंग के निर्धारित 221 बूथों में 48,623 बच्चे, रायपुर शहरी क्षेत्र के निर्धारित 590 बूथों में 1,76,465 बच्चे, बिरगाँव के निर्धारित 37 बूथ में 23,556 बच्चे, को पल्स पोलियो अभियान के तहत खुराक दी जाएगी| आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राथमिक शाला, उपस्वस्थ्य केंद्रों से लेकर प्राथमिक, सामुदायिक, जिला अस्पतालों, में पोलियो की खुराक पिलाई जायेगी और 36 ट्रांज़िट टीमें ट्रांज़िट स्थलों पर अभियान में भागीदारी करेंगी ।“
‘’रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और शहर में आने वाले मार्गों के नाकों पर भी पोलियो बूथ बनाए जाएंगे, ताकि कोई भी बच्चा पोलियो की खुराक पीने से न छूट जाए। इसके अलावा घुमंतू लोगों के बच्चों और निर्माण क्षेत्र में कार्य कर रहे मजदूरों के बच्चों को भी पोलियो की खुराक टीम द्वारा उनके कार्यस्थल पर जाकर भी पिलाई जाएगी।‘’
क्यों जरूरी है पोलियो की खुराक – पोलियो एक ऐसी बीमारी है जो हड्डियों को कमजोर कर बच्चे को अपंग भी बना सकती है और कई मामलों में इसके कारण मौत भी हो जाती है। छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। उन्हें कई रोगों से बचाने के लिए उनका सही समय पर टीकाकरण बहुत आवश्यक है। शिशु के जन्म से लेकर पांच साल तक के बच्चों को टीकाकरण के माध्यम से कई रोगों से बचाया जा सकता है। ऐसे ही रोगों में से एक है पोलियो, छोटे बच्चों में पोलियो का इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत अधिक होता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित पांच साल से छोटे बच्चे होते हैं। इन सबसे बचने के लिए बच्चों को पोलियो की खुराक अवश्य पिलाएं ।
क्या है उद्देश्य – विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था लेकिन पोलियो के खतरे को देखते हुए भारत सरकार अभी भी वर्ष में एक बार पल्स पोलियो का अभियान चला रही है ताकि भारत में पोलियो मुक्त की स्थिति बनी रहे।