छतरपुर
जिला अस्पताल छतरपुर जहां कई जिलों के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं लेकिन अस्पताल में दलालों की सक्रियता के चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों को समय पर ब्लड नहीं मिलता। सिविल सर्जन के आदेशों को ठेंगा दिखाया जाता है। ब्लड बैंक में रशीद कटवाने के बाद भी मरीज को ब्लड देने में आनाकानी की जाती है।
ब्लड बैंक की स्थापना जिला अस्पताल मेें इसीलिए की गई थी कि समय पर जरूरतमंद मरीजों को ब्लड मिलता रहे और मरीजों की जान बचे। लेकिन ब्लड बैंक के कुछ कर्मचारियों की दलालों से साठ-गांठ के चलते जरूरतमंदों को ब्लड देने में परेशान किया जाता है। यहां तक कि सिविल सर्जन के आदेश को भी यह कर्मचारी रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। अस्पताल में चारों तरफ दलाल सक्रिय हैं। जिला प्रशासन भी अस्पताल प्रबंधन के सामने बौना साबित हो रहा है। आखिर ऐसे में मरीजों को अस्पताल में कैसे सुविधाएं मिल सकेंगीं।
ब्लड बैंक प्रभारी एवं एक कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध
व्यापारी नेता लालचन्द्र लालवानी ने बताया कि ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अरूणेन्द्र शुक्ला एवं ब्लड बैंक में कार्यरत चौरसिया कर्मचारी के माध्यम से ब्लड बैंक में दिन भर दलाल सक्रिय रहते हैं और नियम कानून का हवाला देते हुए जरूरतमंद मरीजों को इतना परेशान किया जाता है कि वह एक यूनिट ब्लड के लिए 5 से 8 हजार रूपए देने को तैयार हो जाता है। एक दिन में लगभग 20 यूनिट खून ऐसे जरूरतमंदों को बेचा जाता है जिसकी शिकायत आज दूरभाष पर सीएमएचओ से की गई है और शीघ्र ही ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अरूणेन्द्र शुक्ला एवं कर्मचारी चौरसिया के खिलाफ ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक में कैमरे न लगे होने के कारण ये दलाली का खेल खुलेआम किया जाता है। जब जिला मुख्यालय पर यह स्थिति है तो ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आए मरीजों की क्या स्थिति होगी आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं।
इनका कहना है
मेरे संज्ञान में इस तरह का मामला आया है कि ब्लड बैंक में दलाली चल रही है, मैं इसकी जल्द ही जांच करके कार्यवाही करूंगा। साथ ही जो बाहर के दलाल ब्लड बैंक में सक्रिय दिख रहे हैं उनकी पहचान करके उनके विरुद्ध एफआईआर कराई जाएगी।
डॉ. विजय पथौरिया, सीएमएचओ छतरपुर