जिन शासन की जय-जयकार के साथ साध्वी सुभद्राश्री, साध्वी शुभंकराश्री व साध्वीवृंदों का सदर जैन मंदिर में मंगल प्रवेश

रायपुर
छत्तीसगढ़ रत्न शिरोमणी परम पूज्य साध्वी मनोहरश्रीजी महाराज साहब की शिष्या मंडल प्रमुखा साध्वी मनोरंजनाश्री, साध्वी सुभद्राश्री एवं नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकराश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-8 का गुरूवार को जिन-शासन की जय-जयकार के स्वरों के साथ ऋषभदेव जैन मंदिर सदरबाजार में मंगल प्रवेश हुआ। इससे पूर्व प्रात: ठीक 8.36 को विवेकानंद नगर स्थित श्रीज्ञानवल्लभ उपाश्रय से मंगल प्रवेश यात्रा निकाली गई।

कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सीमित संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल रहे. सिर पर मंगल कलश धारण किए हुए श्राविकाएं और लाल वर्ण के परिधानों में शामिल स्वाध्याय प्रतिक्रमण ग्रुप के सदस्य जिन शासन की जय-जयकार करते चल रहे थे। प्रवेश यात्रा के सदर जैन मंदिर पहुंचते ही पूज्य साध्वी भगवंतों का आत्मीय अभिनंदन किया गया। मूलनायक भगवान श्रीऋषभदेव के दर्शन-वंदन के उपरांत मंदिर परिसर स्थित आराधना हॉल में धर्मसभा प्रारंभ हुई। जिसे संबोधित करते हुए साध्वी भगवंत सरलमना सुभद्राश्री ने कहा, अनादिकाल से यह आत्मा निगोद से लेकर जहां-तहां अनेक गतियों में प्रवेश करती ही रही है। आज भी चातुर्मासिक प्रवेश है. इस प्रसंग पर हमें यह प्रार्थना करनी है कि 8 कर्मों से मुक्त होकर अब इस आत्मा का मोक्ष मार्ग में प्रवेश हो जाए। साधु-साध्वी चार माह एक स्थान पर रहते हैं, मात्र अपने आत्मकल्याण के लिए ही नहीं प्राणीमात्र और समस्त जीवों के कल्याण की भावना रखते हैं। इन चार माहों में जिनवाणी की बरसात होती है, जिस आत्मा ने इसे जीवन में उतार लिया उसका कल्याण निश्चित है। जिन शासन में जीवन जीने की बेजोड़ कला बताई गई है, जीने की इस कला को आत्मसात कर हम अधिक से अधिक धर्म आराधना-साधना में उत्साह से जुटकर अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें।

इसी कड़ी में साध्वी भगवंत नवकार जपेश्वरी शुभंकराश्री ने कहा, जिस प्रकार हर सुबह मोर रायपुर- स्वच्छ रायपुर का स्वर सुनकर अपने घर का कचरा लिए बाहर निकल कचरा गाड़ी में छोड़ आते हैं। उसी प्रकार चातुर्मास का संदेश 'मोर आत्मा-स्वच्छ आत्माझ् के स्वर को सुनकर अपने मोह-माया, राग-द्वेष के भीतरी कचरे को बाहर निकाल अपनी आत्मा को स्वच्छ बनाने का निरंतर प्रयास करें। ऐसा गोल्डन चांस हमें केवल मनुष्य भव में ही मिला है। छत्तीसगढ़ की धरा धर्म-संस्कारों से पुष्पित-पल्लवित और पुण्य धरा है, यहां अनेकानेक संतों का पदार्पण होता रहा है, संतों का सानिध्य पाकर अपने जीवन और आत्मा का कल्याण करें। 25वें भव्य नवकार दरबार का सुयोग जिनेश्वर ऋषभदेव परमात्मा के इस अतिप्राचीन जिनालय में बना है, इसका हम अधिकाधिक लाभ लें। आरंभ में प्रवचन सभा को साध्वी पुण्यधराश्रीजी व साध्वी वसुंधराश्रीजी ने संबोधित करते हुए श्रद्धालुओं को जीवन के यथार्थ का परिचय कराते हुए मनुष्य जीवन का सदुपयोग धर्म-ध्यान में करते हुए आत्मकल्याण के लिए प्रेरित किया।

युवा सुश्रावक सुशील कोचर के संचालकत्व में जारी धर्मसभा के आरंभ में खरतरगच्छ महिला मंडल की सदस्याओं और श्राविका श्रीमती प्रिया सर्राफ ने स्वागत गीतों की मधुर प्रस्तुतियां दीं। ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, जैन श्वेताम्बर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विमलचंद मालू ने इस प्रसंग पर कहा कि पूज्य साध्वी भगवंतों के इस स्वर्णिम चातुर्मास का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है, इसका अधिकाधिक पुण्यलाभ लेकर हम अपना जीवन सार्थक बनाएं। अध्यक्ष मालू ने बताया कि संपूर्ण चातुर्मासिक कार्यक्रम कोरोना गाइडलाइन का पूर्णरूपेण पालन करते हुए आयोजित किए जाएंगे.