वॉशिंगटन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लोकप्रियता अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. एक अमेरिकी संस्था द्वारा 17 देशों में कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि जिनपिंग को लेकर दुनिया की सोच में व्यापक बदलाव आया है. वहीं, जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका की छवि बेहतर हुई है और लोगों में उसके प्रति विश्वास भी बढ़ा है.
US की रेटिंग में भी हुआ सुधार
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, अमेरिका स्थित प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में कोरोना महामारी से निपटने को लेकर चीन की तारीफ हुई है. सर्वे में शामिल लोगों ने माना है कि चीन (China) ने अमेरिका की तुलना में COVID-19 महामारी को बेहतर ढंग नियंत्रित किया. हालांकि, अमेरिका की रेटिंग में भी अब सुधार हो रहा है.
पिछले साल से खराब हुई स्थिति
कोरोना को छोड़कर दूसरे सभी मामलों में चीन की छवि नकारात्मक ही रही. खासतौर पर उसके लीडर यानी शी जिनपिंग की लोकप्रियता पिछले कुछ समय में काफी प्रभावित हुई है. अपने पिछले सर्वेक्षण में प्यू रिसर्च सेंटर ने पाया था कि वैश्विक मामलों को लेकर पश्चिमी यूरोप को चीनी राष्ट्रपति पर अधिक विश्वास था, लेकिन इस बार इसमें ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई है. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में लोगों को जो बाइडेन पर अधिक विश्वास है, उन्हें लगता है कि बाइडेन World Affairs को लेकर सही कदम उठाएंगे.
इन Countries में हुआ Survey
सर्वेक्षण में शामिल ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, स्वीडन और कनाडा के अधिकांश लोगों ने कहा कि उन्हें शी जिनपिंग पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. सर्वे के दौरान ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों से विभिन्न सवाल पूछे गए. प्यू के अनुसार, सिंगापुर और न्यूजीलैंड को छोड़कर बाकी देशों के अधिकांश लोगों ने माना कि मौजूदा वक्त में चीन की तुलना में US के साथ मजबूत आर्थिक संबंध बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
यूरोप से जुदा Asia-Pacific की राय
सर्वेक्षण में कोरोना महामारी से निपटने को लेकर जरूर चीन को अच्छे नंबर मिले हैं. सर्वे में शामिल कई देशों ने माना कि 49% ने माना कि बीजिंग ने कोरोना से बेहतर ढंग से निपटा. वहीं, 37% ने इस मामले में अमेरिका को बेहतर बताया. प्यू रिसर्च सेंटर ने बताया कि यूरोपीय लोगों ने एशिया-प्रशांत की तुलना में कोरोना से निपटने के चीनी प्रयासों की ज्यादा सराहना की. एशिया-प्रशांत में, हालांकि, इस बारे में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली कि क्या आर्थिक संबंधों को दांव पर लगाकर चीन में मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए?