जबलपुर में जिन्दा जलने से मासूम और दो महिलाओं की मौत

जबलपुर

जबलपुर में आग में तीन जिंदगियां खत्म हो गईं। इनमें सात साल की बच्ची भी थी, जो अपनी मां के सीने से चिपकी थी। एक बुजुर्ग महिला को बचा लिया गया। उन्हें बचाने वाले गार्ड राहुल विश्वकर्मा ने आंखों-देखी बयां की है। उन्होंने बताया कि लोगों को बचाने के लिए वह दौड़कर घर गया और हथौड़ा मारकर दरवाजा तोड़ने की कोशिश की। तीन बार हथौड़ा मारने पर दरवाजा टूटा। बुजुर्ग महिला की जान बचा ली, लेकिन उनकी बेटी, पोती और बहु को नहीं बचा सका।

ITI माढ़ोताल निवासी सुरक्षा गार्ड राहुल विश्वकर्मा (28) वो पहले व्यक्ति हैं, जिसने हादसे के बाद चीख रहे पश्चिम मध्य रेलवे के प्रोटोकॉल इंस्पेक्टर आदित्य सोनी को देख मोहल्ले वालों को मदद के लिए बुलाया था। खुद ने आग की लपटों के बीच से 70 साल की अरुणबाला सोनी को निकालने में मदद की। दैनिक भास्कर से राहुल ने इस हादसे के बारे में जैसा बताया-

गोराबाजार पिंक सिटी के गेट नंबर 3 से 4 की सुरक्षा करनी होती है। रातभर कई बार राउंड लेता हूं। रेलवे में प्रोटोकॉल इंस्पेक्टर आदित्य सोनी के घर से तीसरे मकान में रहने वाले COD कर्मी पीयूष दुबे रात करीब डेढ़ बजे के आए थे। उनकी सास निजी अस्पताल में भर्ती हैं। वह पत्नी मोनिका दुबे को घर छोड़ने दोस्तों के साथ आए थे। पत्नी को छोड़ने के बाद पीयूष दोस्तों के साथ लौट गए।

रात सवा दो बजे बालकनी में खड़े होकर मदद के लिए चीख रहे आदित्य सोनी पर नजर पड़ी। रूआसा होते हुए बोले कि भाई मेरी मां (अरुणबाला सोनी) नीचे फंसी हैं, उन्हें बचा लो। राहुल ने बताया कि मैं BIS की ट्रेनिंग ले चुका हूं और इस तरह के हालत से निपटना वहां बताया गया था। उनके कहे अनुसार गेट कूदकर अंदर पहुंचा। दरवाजे पर तीन-चार लात मारी, लेकिन वह नहीं खुला। फिर बाहर निकल आया। खिड़की से आग की लपटें निकलने लगीं। अंदर बेडरूम में फंसी अरुणबाला सोनी चीख रही थीं।

मैंने आसपास के लोगों को बुलाया। दो बार घर में घुसने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाया। मोनिका दुबे मैडम ने तब तक अस्पताल को निकले अपने पति पीयूष दुबे को वापस बुला लिया। सभी सामने निर्माणाधीन मकान के लेबर से बोलकर पानी की पाइप लगाकर कमरे में लगी आग बुझाने का प्रयास करने लगे। दो बार के प्रयास से भी दरवाजा नहीं टूटा। तीसरी बार दौड़ कर मोनिका मैडम के घर से हथौड़ा लाया। जाली वाले दरवाजे सहित अंदर के दरवाजे को तोड़ा। बगल में रहने वाली फूललता मजूमदार ने कंबल गीला करके दिया। उसे ओढ़कर पीयूष दुबे और उनके दो दोस्त अंदर पहुंचे और अरुणबाला सोनी को निकाला।